केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के नोएडा मुख्यालय का दौरा किया। अपने दौरे के अवसर पर, सर्बानंद सोनोवाल को देश में 111 राष्ट्रीय जलमार्गों की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई और उन्हें इस बात से अवगत कराया गया कि कैसे अंतर्देशीय जलमार्ग सड़क और रेलवे के पूरक के रूप में परिवहन के एक स्थायी साधन के रूप में उभर रहे हैं।
आईडब्ल्यूएआई के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री ने देश भर में राष्ट्रीय जलमार्गों को विकसित करने और जलमार्गों पर यात्रियों के आवागमन और माल ढुलाई को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने देश में रिवर क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामारन जहाजों और देश के पहले हाइड्रोजन पोत की शुरूआत जैसी हाल की पहलों की सराहना की।
सर्बानंद सोनोवाल ने इसके अलावा राष्ट्रीय जलमार्ग (एनडब्ल्यू) 1 – गंगा नदी पर विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित जलमार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) की प्रगति की समीक्षा की। प्राधिकरण माल ढुलाई को सुविधाजनक बनाने और कनेक्टिविटी में सुधार के लिए वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में मल्टी-मॉडल टर्मिनल और कालूघाट में एक इंटर-मॉडल टर्मिनल का निर्माण करके जलमार्ग से जुड़ी आधारभूत सुविधाओं को बढ़ा रहा है। आईडब्ल्यूएआई गंगा नदी के किनारे रहने वाले समुदायों को लाभ पहुंचाने के लिए सामुदायिक जेटी भी स्थापित कर रहा है।
सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय एक मजबूत अंतर्देशीय जल परिवहन प्रणाली विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत के राष्ट्रीय जलमार्गों को बेहतर बनाकर, इस मंत्रालय और आईडब्ल्यूएआई का उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और राष्ट्र के लिए कुशल, टिकाऊ परिवहन विकल्प सुनिश्चित करना है, जो विश्व स्तरीय आधारभूत सुविधाओं से सुसज्जित होने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘न्यू इंडिया’ के विजन के अनुरूप हो।”
आईडब्ल्यूएआई की बैठक में बातचीत के दौरान, सर्बानंद सोनोवाल ने नए राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास के लिए पांच वर्षीय कार्ययोजना का शुभारंभ किया, जिसमें पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लक्षित अभियानों और कार्यक्रमों के माध्यम से नदी परिभ्रमण पर जोर दिया गया। पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के राज्यों के साथ सहयोग पर प्रकाश डाला गया, जिसमें प्रभावी सीएसएस परियोजना का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत प्रणाली मौजूद है। मानव संसाधन से जुड़े मुद्दों के बारे में अपने संबोधन में, श्री सोनोवाल ने भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) के मार्ग में चुनौतियों पर काबू पाने पर चर्चा की और गोवा, महाराष्ट्र के साथ-सा गुजरात में अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) के कार्य में तेजी लाने के लिए अभिनव समाधान प्रस्तावित किए, राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी और अंतर-राज्यीय सहयोग का लाभ प्राप्त करने पर जोर दिया।
सर्बानंद सोनोवाल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में विशेष रूप से एनडब्ल्यू 2, 16 और 31 यानी असम में ब्रह्मपुत्र, बराक और धनसिरी नदियों में अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे क्रियाकलापों का भी मूल्यांकन किया। बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ क्षेत्रीय संपर्क को बेहतर बनाने की पहल का भी मूल्यांकन किया गया। नेविगेशन को बेहतर बनाने के लिए आईडब्ल्यूएआई द्वारा की गई नई तकनीकी प्रगति को भी केंद्रीय मंत्री के सामने प्रदर्शित किया गया। इसमें पानी (पीएएनआई) – संपत्ति और नौवहन सूचना के लिए पोर्टल, आरआईएस – नदी सूचना प्रणाली, कार्गो और क्रूज आवाजाही से संबंधितडेटा के संग्रह और संकलन, विश्लेषण और प्रसार के लिए सीएआर-डी जैसी पहल और साथ ही केंद्रीय डेटाबेस और राष्ट्रीय नदी यातायात तथा नौवहन प्रणाली जैसी भविष्य की परियोजनाएं शामिल थीं।
सर्बानंद सोनोवाल ने विकास और समृद्धि के प्रतीक के रूप में, आईडब्ल्यूएआई के परिसर में आईडब्ल्यूएआई के अध्यक्ष श्री विजय कुमार, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव (आईडब्ल्यूटी) श्री आर. लक्ष्मणन, आईडब्ल्यूएआई के उपाध्यक्ष श्री सुनील कुमार सिंह और प्राधिकरण के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में एक पौधा भी लगाया।
उल्लेखनीय रूप से राष्ट्रीय जलमार्गों पर माल की आवाजाही वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2024 तक दस वर्षों की अवधि में 22.1 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि दर्ज करते हुए 133 मिलियन टन से अधिक हो गई है। आईडब्ल्यूएआई का लक्ष्य आईडब्ल्यूटी के माध्यम से माल की आवाजाही का मॉडल हिस्सा 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करना और मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 के अनुरूप यातायात के पैमाने को 200 एमएमटी से अधिक और मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047 के अनुसार 2047 तक 500 एमएमटी से अधिक करना है। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए दो विजन दस्तावेजों का उद्देश्य देश में परिवहन का एक स्थायी पूरक तरीका सुनिश्चित करते हुए बड़े पैमाने पर अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देना है।
देश में आर्थिक विकास और वाणिज्य के माध्यम के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों को सक्षम करने के लिए, देश में नदी क्रूज पर्यटन के विकास के लिए 45,000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई गई है। इस महत्वाकांक्षी राशि में से, अनुमानित 35,000 करोड़ रुपये क्रूज जहाजों के लिए और अन्य 10,000 करोड़ रुपये अमृत काल के अंत तक, यानी 2047 तक क्रूज टर्मिनल से संबंधित आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए निर्धारित किए गए हैं। कार्गो व्यापार के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ाने के लिए, अक्टूबर 2023 में मुंबई में आयोजित ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस) में 15,200 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इसमें 2047 तक 500 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) तक की मात्रा में 400 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दर्ज करने की संभावना है। हरित नौका दिशानिर्देशों के साथ, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने अंतर्देशीय पोत संचालन (ग्रीन वेसल्स) के लिए प्रोपल्शन ईंधन के रूप में कम उत्सर्जन वाले ईंधन (सीएनजी/एलएनजी/इलेक्ट्रिक/हाइड्रोजन/मेथनॉल) को अपनाये जाने पर जोर देकर पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ तरीके से जलमार्गों के माध्यम से यात्री परिवहन को आगे बढ़ाने की दिशा में एक मजबूत प्रतिबद्धता प्रस्तुत की है।
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