सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श करके महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश पर एक मॉडल नीति तैयार करे।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आज मासिक धर्म अवकाश नीति की मांग करने वाली जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। महिला और बाल विकास मंत्रालय को इस पर एक नीति तैयार करने के लिए हितधारकों के साथ बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया गया है।
पीठ ने कहा कि नीति से जुड़ा यह मुद्दा अदालतों के संज्ञान का मुद्दा नहीं है। महिलाओं को ऐसी छुट्टी देने पर अदालत का निर्णय प्रतिकूल और हानिकारक साबित हो सकता है क्योंकि नियोक्ता उन्हें काम पर रखने से बच सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि यह निर्देश राज्य सरकार को मासिक धर्म अवकाश की नीति पर स्वतंत्र निर्णय लेने में बाधा नहीं बनेगा।
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