सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे को संसाधित करने में विफलता को लेकर सोमवार को अधिकारियों को लताड़ लगाई और इसे ‘खेदजनक स्थिति’ करार दिया। शीर्ष अदालत ने पाया कि राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन तीन हजार टन ठोस कचरा अनुपचारित रह जाता है।
न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सहित विभिन्न प्राधिकरणों की ओर से पेश हुए वकीलों से पूछा,”इसका समाधान क्या है।” पीठ ने कहा कि नगर निगम के ठोस कचरे के प्रसंस्करण का मुद्दा राष्ट्रीय राजधानी के लिए बेहद अहम है, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और दिन के वक्त इस मुद्दे पर फिर सुनवाई होगी।
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