उच्चतम न्यायालय ने आज भारतीय दंड संहिता, आपराधिक दंड संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह हाल ही में बनाए गए तीन आपराधिक कानूनों के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने याचिकाकर्ता से व्यक्तिगत रूप से कहा कि यह याचिका खारिज किए जाने योग्य है।
याचिका पर विचार करने में शीर्ष अदालत की अनिच्छा को भांपते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए। इस अवकाश पीठ में न्यायमूर्ति पंकज मित्तल भी शामिल थे। न्यायालय ने कहा कि यह याचिका बहुत ही अनौपचारिक और लापरवाह तरीके से दायर की गई है। आखिर में याचिका को वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया।
जनहित याचिका में कहा गया था कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कई खामियां और विसंगतियां हैं।
प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली अस्पताल निर्माण घोटाले से जुडे मामले में दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री…
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में गृह मंत्रालय (MHA) के सीमा प्रबंधन…
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने भविष्य के युद्धों में जीत सुनिश्चित करने…
भारत और वैश्विक दूरसंचार समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक पहल के रूप में 3जीपीपी रेडियो…
केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान तीन राज्यों में ग्रामीण स्थानीय निकायों के…
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मीडिया में आई उन खबरों पर स्वतः संज्ञान लिया है…