केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज सऊदी अरब के रियाद में मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) की सीओपी16 में भारत का औपचारिक वक्तव्य दिया।
भूमि क्षरण से निपटने और वैश्विक सूखा प्रतिरोध को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, मंत्री ने बताया कि सीओपी-16 के अधिदेश के अनुकरण में, भारत ने भूमि क्षरण को संबोधित करने, सूखा प्रतिरोध, पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली और जैव विविधता बढ़ाने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा, “भारत में, पृथ्वी को पारंपरिक रूप से धरती माता के रूप में पूजा जाता है। धरती माता द्वारा प्रकृति के पोषण और हमारी अपनी माताओं के बीच एक समानता को दर्शाते हुए, हमारे माननीय प्रधान मंत्री ने एक जन-आधारित अभियान, ‘माँ के लिए पौधे’ शुरू किया है, और इस माध्यम से हमने इस वर्ष 1 बिलियन से अधिक पौधे लगाए हैं। हम सभी देशों और उनके नागरिकों से इस अनूठी पहल में शामिल होने का आग्रह करते हैं, जो धरती माता के लिए सबसे बड़ी आदराँजलि होगी और भूमि क्षरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को हल करने में भी योगदान देगी।”
भूपेंद्र यादव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत यह मानता है और वह इस बात पर जोर देता है कि भूमि केवल मनुष्य के लिए नहीं है, मनुष्य इस ग्रह को अन्य जीवों के साथ साझा करते हैं, उनका भी पृथ्वी के संसाधनों पर अधिकार है। भारत के सांस्कृतिक लोकाचार इस सिद्धांत को मान्यता देते हैं और भारत ने अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस को शुरू करने में पहल की है, जो कि बड़ी बिल्लियों की रेंज वाले देशों का एक बहु-देशीय, बहु-एजेंसी गठबंधन है। मंत्री ने कहा, इसके अलावा, भारत 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को बहाल करने की बॉन चैलेंज की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, जिसमें से 22.50 मिलियन हेक्टेयर से अधिक भूमि को पहले ही बहाल किया जा चुका है।
भारत के सतत विकास के दृष्टिकोण पर गहराई से विचार करते हुए, भूपेंद्र यादव ने कहा, “भारत का मानना है कि भूमि बहाली और सूखे से निपटने के लिए स्थायी सफलता के लिए सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है और ग्रीन इंडिया मिशन के माध्यम से बंजर भूमि की बहाली के लिए “पूरी सरकार” और “पूरे समाज” के दृष्टिकोण को अपनाया है, जिसकी रीढ़ सामुदायिक भागीदारी है। भारत पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने और जीवन के सभी क्षेत्रों में पारंपरिक ज्ञान के उपयोग की वकालत करता है। भारत इस बात की पुष्टि करता है कि स्वस्थ भूमि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण आधार के रूप में कार्य करती है। जबरन पलायन के कारणों को कम करके, स्थिर समुदाय और प्रगतिशील अर्थव्यवस्थाएँ बनाई जा सकती हैं।”
इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि भारत मानता है कि भागीदारी के माध्यम से ज्ञान साझा करना और क्षमता निर्माण सूखे की तैयारी और प्रतिरोधक्षमता को बढ़ाता है। इसलिए, सरकार, एजेंसियों, उद्योग, समुदायों आदि को एक साथ मिलकर सूखे की पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने, सूखे के अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने और स्थायी आजीविका बनाने के लिए सहयोग के हर अवसर का लाभ उठाना चाहिए। जल संरक्षण के लिए अमृत सरोवर नामक एक बहुत ही विशेष पहल शुरू की गई है जिसके तहत देश के हर जिले में जल धारण संरचनाओं का विकास और कायाकल्प किया जा रहा है। हम अपने अनुभव सभी के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के तहत निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों सहित विभिन्न संस्थाओं से वित्तीय सहायता के साथ बंजर भूमि के टुकड़ों की पहचान की जाती है और उन्हें पारिस्थितिक रूप से बहाल किया जाता है।
अपने संबोधन का समापन करते हुए मंत्री ने कहा, “अब जबकि हम सीओपी16 में एकत्र हुए हैं, हमें फिर से दोहराना चाहिए कि स्वस्थ भूमि एक स्थायी भविष्य की आधारशिला है। मृदा स्वास्थ्य को पोषित करके, पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करके और जलवायु प्रतिरोध क्षमता को बढ़ावा देकर, हम वैश्विक स्थायी लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग बनाते हैं। मैं यहाँ संस्कृत वाक्यांश प्रकृति रक्षति रक्षितः के साथ समापन करता हूँ : जिसका अर्थ है ‘प्रकृति रक्षा करती है यदि वह स्वयं संरक्षित हो’।”
निर्वाचन आयोग ने आज देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर…
बिहार में, मतदाता सूची 2025 का मसौदा आज सभी 38 जिला निर्वाचन अधिकारियों और जिलाधिकारियों…
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम-एनपीसीआई ने आज से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस-यूपीआई के नए नियम लागू कर…
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज के अनिश्चित समय में सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने…
इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) ने ग्राहक लेनदेन के लिए आधार के माध्यम से पहचान…
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज दिल्ली में आयोजित ‘मेघालय अनानास महोत्सव-2025’ में शामिल हुए।…