केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने IIPA में अत्याधुनिक डिजिटल स्टूडियो ‘सृष्टि’ का शुभारंभ किया
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) मुख्यालय में अत्याधुनिक डिजिटल स्टूडियो ‘सृष्टि’ और नवनिर्मित चाय लाउंज ‘सहकार’ का शुभारंभ किया।
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तत्वावधान में विकसित ‘सृष्टि’ सरकारी अधिकारियों और विद्वानों के लिए डिजिटल सामग्री निर्माण, क्षमता निर्माण और ज्ञान प्रसार को बढ़ाने के लिए एक अग्रणी पहल है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने स्टूडियो पर एक ब्रोशर भी जारी किया और भविष्य के लिए तैयार शासन पर सरकार के फोकस को रेखांकित करने वाले “भारत में लोक प्रशासन” शीर्षक से एक मौलिक प्रकाशन का शुभारंभ किया।
लोक प्रशासन में 51वें उन्नत व्यावसायिक कार्यक्रम (एपीपीपीए) के सशस्त्र बलों, सिविल सेवाओं और संबद्ध क्षेत्रों के अधिकारियों सहित सभी प्रतिभागियों के साथ बातचीत करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने “सैन्य अधिकारियों और नागरिक प्रशासन के बीच अधिक तालमेल और मेल मिलाप का” का स्पष्ट आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज के गतिशील शासन परिदृश्य में अलग-अलग काम करना अब एक विकल्प नहीं बल्कि एक दायित्व बन गया है।
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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ऐसे जटिल अभियानों में भारत की जीत हमारे सशस्त्र बलों और नागरिक अधिकारियों के बीच सहज एकीकरण का प्रमाण है। इसे स्वदेशी रूप से विकसित रक्षा प्रौद्योगिकी का सहयोग प्राप्त है। यह हमारे कर्मियों की अटूट भावना और आत्मनिर्भरता की शक्ति को दर्शाता है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि चाहे बाढ़ हो, आपदा हो या कोई राष्ट्रीय आपातकाल, सशस्त्र बल ही सबसे पहले आगे बढ़कर देश सेवा में अपना योगदान देते हैं। केवल युद्ध के दौरान ही नहीं बल्कि शांति के समय में भी, उनका योगदान बेजोड़ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज के शासन में सहयोगात्मक, तकनीक-संचालित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, और उन्होंने उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में संयुक्त नागरिक-सैन्य कमान संरचनाओं के उदाहरण दिए। ऐसे क्षेत्रों में जिला कलेक्टर और कमांडिंग अधिकारी संयुक्त रूप से रणनीतिक समीक्षा करते हैं।
बातचीत के दौरान नौसेना और तटरक्षक बल के कई अधिकारियों ने बाढ़ राहत अभियानों में अपने अनुभव साझा किए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर उन्हें भारत के महत्वाकांक्षी डीप ओशन मिशन में नौसेना और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बीच तालमेल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने राष्ट्रीय उत्कृष्टता की भावना को मूर्त रूप देने के लिए आईएसएस मिशन के लिए चुने गए भारत के अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला की भी सराहना की।
प्रमुख प्रशासनिक सुधारों का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने रक्षा पेंशन वितरण के लिए स्पर्श पोर्टल पर प्रकाश डाला और इसे पूर्व सैनिकों के लिए कुशल, पारदर्शी और वास्तविक समय पर शिकायत निवारण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया।
उन्होंने कहा कि एपीपीपीए कार्यक्रम, जो कोविड-19 महामारी के दौरान भी चलता रहा और यह 1975 से ही निर्बाध रूप से चल रहा है, वरिष्ठ अधिकारियों के लिए एक प्रमुख मध्य-करियर क्षमता निर्माण पहल के रूप में लगातार काम कर रहा है। मिशन कर्मयोगी के तहत 51वें संस्करण को फिर से डिज़ाइन किया गया है, जो भूमिका-आधारित, योग्यता-आधारित सीखने पर ध्यान केंद्रित करता है और इसमें डिज़ाइन थिंकिंग, डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन एक्सपोज़र और आईजीओटी कर्मयोगी मॉड्यूल के एकीकरण जैसे अभिनव मॉड्यूल शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “सबका प्रयास” और टिकाऊ शासन के दृष्टिकोण का हवाला देते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि आज का भारत केवल सुधार और प्रदर्शन ही नहीं कर रहा है, बल्कि प्रत्येक चुनौती के साथ बदलाव भी कर रहा है। हमारा शासन मॉडल दबाव में मजबूत होता है और नवाचार पर पनपता है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार से शासन की ओर तथा अब न्यूनतम सरकार – अधिकतम शासन की ओर बदलाव, पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक-केन्द्रितता पर अभूतपूर्व जोर देता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एपीपीपीए कार्यक्रम भारत के शीर्ष प्रशासकों की मानसिकता और कौशल को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उन्हें सार्वजनिक नीति, वितरण प्रणाली और डिजिटल शासन की जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए उपकरण प्रदान करता है। उन्होंने इसकी समग्र संरचना की प्रशंसा की, इसमें प्रतिभागियों के लिए महत्वपूर्ण शिक्षण आधार शहरी-ग्रामीण अध्ययन दौरे, अग्रिम क्षेत्र के दौरे और जिला-स्तरीय आकलन शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में आईआईपीए के महानिदेशक एसएन त्रिपाठी और आईआईपीए के रजिस्ट्रार अमिताभ रंजन भी उपस्थित थे। उन्होंने अकादमिक और प्रशासनिक उत्कृष्टता का केंद्र बने रहने के लिए आईआईपीए की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।