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केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने पानीपत के कपड़ा उद्योगपतियों से मुलाकात कर विभिन्न मिश्रणों के साथ नए कपड़ा उत्पाद विकसित करने का आग्रह किया

केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने आज 18 नवंबर, 2024 को पानीपत, हरियाणा के अपने दौरे के दौरान कपड़ा विनिर्माताओं और निर्यातकों से मुलाकात की। इस बैठक में कपड़ा क्षेत्र के विनिर्माताओं और निर्यातकों के 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में कपड़ा क्षेत्र में लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) और विनिर्माण उद्योगों को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों (विशेष रूप से पानीपत से जुड़े) पर चर्चा की गई।

कपड़ा मंत्री ने इसमें शामिल प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए फर्श-कवरिंग और कालीन उत्पादों पर विभिन्न मिश्रणों, जैसे बांस के साथ जूट, तथा सिंथेटिक फाइबर के साथ पुनर्नवीनीकृत कपास, के साथ नए उत्पादों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कपड़ा मंत्री और इस उद्योग के बीच बैठक का आयोजन हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद और पानीपत निर्यातक संघ के समन्वय द्वारा किया गया था। हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के हथकरघा विकास आयुक्त कार्यालय के अधीन एक संगठन है। बैठक में विकास आयुक्त (हथकरघा) डॉ. एम बीना, एचईपीसी के अध्यक्ष और पानीपत निर्यातक संघ के अध्यक्ष ललित कुमार गोयल सहित कपड़ा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

बैठक में कपड़ा उद्योग के बुनियादी ढांचे के विकास, निर्यात संवर्धन रणनीतियों, मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) और एसएमई के विकास और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए नीतिगत समर्थन से संबंधित कई मामलों पर चर्चा की गई। बैठक में इन चुनौतियों का समाधान करने और भारत के वस्त्र और निर्यात क्षेत्रों के दीर्घकालिक विकास की दिशा में काम करने के लिए सरकार और उद्योग हितधारकों के बीच सहयोग के महत्व को रेखांकित किया गया।

कपड़ा मंत्री ने पानीपत की अपनी यात्रा के दौरान क्षेत्र की कुछ अग्रणी हथकरघा, घरेलू वस्त्र और पुनर्नवीनीकृत धागा विनिर्माण इकाइयों जैसे महाजन ओवरसीज, एक्सेलेंट फैबटेक्स, जी इंटरनेशनल, एएसएम होम फर्निशिंग और एचआर ओवरसीज के कारखानों का दौरा कर इन इकाइयों के प्रबंधन के साथ विचार-विमर्श किया।

कपड़ा मंत्री ने अपने दौरे के दौरान कारखानों की ऊर्जा आवश्यकताओं को 100 प्रतिशत पूरा करने के लिए हरित ऊर्जा के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पानीपत के कालीन और फर्श कवरिंग उद्योगों को कोलकाता के जूट उद्योग के साथ सहयोग करने और कच्चे माल के रूप में जूट का उपयोग करने का सुझाव भी दिया।

गिरिराज सिंह ने उद्योगों से आग्रह किया कि वे वर्ष 2030 तक 150 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात के साथ 350 बिलियन अमरीकी डॉलर के कपड़ा बाजार का लक्ष्य हासिल करने के लिए पूरी तैयारी कर लें।

उद्योग प्रतिनिधियों के साथ बैठक में अपने मुख्य भाषण में विकास आयुक्त (हथकरघा) डॉ. बीना ने पानीपत के विभिन्न उत्पादों की निर्यात संभावनाओं के बारे में जानकारी दी तथा निर्यातकों से अवसरों का समुचित उपयोग करने का आग्रह किया।

इस अवसर पर मैसर्स देवगिरी एक्सपोर्ट्स के अशोक गुप्ता, हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स के विनोद धमीजा तथा सीईपीसी के अध्यक्ष कुलदीप वट्टल ने भी पानीपत कपड़ा उद्योग को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

एचईपीसी के कार्यकारी निदेशक एन. श्रीधर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

हरियाणा भारत के चार प्रमुख कालीन उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। हरियाणा में फर्श कवरिंग और कालीन निर्माताओं के लिए पानीपत एक प्रमुख क्लस्टर है, जिसमें एमएसएमई क्षेत्र में लगभग 200 इकाइयाँ हैं। पानीपत को बुनकरों का शहर कहा जाता है, क्योंकि यह कपड़ा और कालीन बनाता है। यह भारत में अच्छी गुणवत्ता वाले कंबल और कालीनों का सबसे बड़ा केंद्र है और यहाँ एक सुप्रसिद्ध हथकरघा बुनाई उद्योग है।

ऊनी कंबलों के निर्यात के लिए पानीपत को विदेश व्यापार नीति के तहत निर्यात उत्कृष्टता के शहर के रूप में मान्यता दी गई है। पानीपत में कपड़ा उद्योग का कुल निर्यात कारोबार लगभग 12,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है, जो लगभग 8-10 लाख बुनकरों/श्रमिकों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है। पानीपत से कपड़ा उत्पादों का निर्यात पूरी दुनिया में किया जा रहा है। मुख्य रूप से यह निर्यात अमेरिका, यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया और वॉलमार्ट तथा आईकेईए जैसे प्रमुख खुदरा स्टोरों पर बिक्री के लिए किया जाता है।

हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद में पानीपत के 400 से अधिक निर्यातक सदस्य पंजीकृत हैं।

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