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DRDO ने एयरो इंडिया 2025 में स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों व प्रणालियों, कार्यशील मॉडलों और नवाचारों का प्रदर्शन किया

देश में रक्षा अनुसंधान एवं विकास तंत्र से जुड़े हितधारकों को एकीकृत करने के लिए, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) 10 से 14 फरवरी, 2025 तक बेंगलुरु के येलहंका स्थित एयरफोर्स स्टेशन में आयोजित 15वें ‘एयरो इंडिया’ में भाग ले रहा है। इसमें स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक तकनीक और प्रणालियां, सभी प्रारूपों में कार्यशील मॉडल और नवाचार प्रदर्शित किए जाएंगे। इन प्रारूपों में इनडोर पैवेलियन, आउटडोर डिस्प्ले, इंडिया पैवेलियन और फ्लाइंग डिस्प्ले शामिल हैं।

डीआरडीओ पहली बार भारत के पहले 5.5 पीढ़ी के स्टील्थ एयरक्राफ्ट यानि उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) का पूर्ण मॉडल प्रदर्शित कर रहा है, जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। एयरो इंडिया 2025 में यह मंडप स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं और वैश्विक मंच के लिए तैयार अत्याधुनिक तकनीकों को प्रदर्शित करके मेक-इन-इंडिया पहल के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगा। यह मंडप भारत के निजी उद्योगों, रक्षा क्षेत्र से सार्वजनिक उपक्रमों, स्टार्ट-अप और डीआरडीओ की संयुक्त ताकत का उदाहरण है।

इस मंडप में आने वाले आगंतुकों को डीआरडीओ द्वारा विकसित 16 अन्य उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी मिलेगी। इनमें ट्विन इंजन डेक आधारित फाइटर (टीईडीबीएफ), एलसीए एमके-2 मॉडल, एयर ड्रॉपेबल कंटेनर (एडीसी)-150, एडवांस्ड लाइट वेट टारपीडो, आफ्टरबर्नर के बिना कावेरी व्युत्पन्न एयरो इंजन, नौसेना एंटी-शिप मिसाइल-मध्यम दूरी और विभिन्न अन्य मिसाइलें प्रमुख हैं।

एयरो इंडिया के हॉल-डी में डीआरडीओ के इनडोर पवेलियन को 9 थीमों में विभाजित किया गया है जिसमें रक्षा नवाचार के मुख्य क्षेत्र शामिल हैं। ये 9 थीम हैं: ‘एयरबोर्न सर्विलांस सॉल्यूशंस’, ‘नेवल वॉरफेयर’, ‘नेक्स्ट-जेनेरेशन मिसाइल सिस्टम’, ‘आसमान में वर्चस्व-एडीए की 5वीं पीढ़ी की छलांग’, ‘अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स’, ‘रडारस्केप: मैपिंग द इनविजिबल’, ‘मैरीटाइम सेंटिनल: ए न्यू एरा ऑफ सर्विलांस एंड सेफ्टी’, ‘फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए सेंसर सूट’ और ‘रक्षक’। पवेलियन में 330 से अधिक उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं जिन्हें 14 प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है। यह उन्नत सामग्री और घटक, निगरानी और टोही प्रौद्योगिकी, एंटीना और माइक्रोवेव प्रौद्योगिकी, सैनिक सहायता प्रणाली, लड़ाकू विमान प्रौद्योगिकी, कॉर्पोरेट निदेशालय, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कम्प्यूटेशनल सिस्टम और साइबर सुरक्षा, भूमि प्रणाली और युद्ध सामग्री, मिसाइल प्रौद्योगिकी, अगली पीढ़ी के लड़ाकू वाहन और सामरिक गतिशीलता; फोटोनिक्स, लेजर और क्वांटम प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार, सिमुलेशन और प्रशिक्षण प्रौद्योगिकी और एयरो प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी जैसे प्रमुख रक्षा क्षेत्रों की गहन खोज प्रदान करेगा। इनडोर मंडप में डीआरडीओ द्वारा क्रियान्वित प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना के तहत विकसित उत्पादों को भी प्रदर्शित किया जा रहा है।

डीआरडीओ मंडप का बाहरी खंड, अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोग को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिनमें क्यूआरएसएएम मोबाइल लॉन्चर वाहन, आकाश एनजी लॉन्चर का पूर्ण मॉडल, आर्चर यूएवी 1:1 (रुस्तम -1), एयर ड्रॉपेबल सरवाइवल एंड रेस्क्यू किट (एसएआरके), एयर क्रू के लिए इमरजेंसी एस्केप पैराशूट सिस्टम (ईईपीएसए), मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम (एमसीपीएस), वाहन में लगने वाले जैमर, प्रोजेक्ट धाराशक्ति की एंटी यूएवी (जेएयू) इकाई और वीएचएफ रडार शामिल हैं। डोर्नियर विमान के मिडलाइफ अपग्रेड का प्रदर्शन डीआरडीओ की भागीदारी का एक मुख्य आकर्षण है। अपग्रेड किए गए डोर्नियर में बेहतर एवियोनिक्स, ईंधन दक्षता, उन्नत रडार सिस्टम, बेहतर गतिशीलता, एकीकृत निगरानी प्रणाली और बेहतर इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया है।

डीआरडीओ 11 फरवरी, 2025 को हॉल नंबर 2 में ‘विकसित भारत के लिए डीआरडीओ उद्योग समन्वय: मेक इन इंडिया-मेक फॉर वर्ल्ड’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित करेगा। यह सेमिनार उद्योग जगत की भागीदारी, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और रक्षा निर्यात को बढ़ावा देगा। इस सेमिनार में शिक्षा जगत, भारतीय निजी उद्योग, स्टार्टअप, सार्वजनिक उपक्रमों और डीआरडीओ के सदस्य भाग लेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे और टीओटी के लिए संशोधित नीति, रक्षा अनुसंधान एवं विकास में अभिनव स्टार्टअप के उपयोग के लिए डीआरडीओ नीति और निर्यात के लिए डीआरडीओ उत्पादों का संग्रह जारी करेंगे। सेमिनार के दौरान उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए लाइसेंसिंग समझौते (एलएटीओटी) भी सौंपे जाएंगे। कार्यक्रम में डीडीआरएंडडी के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत रक्षा निर्यात को बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने हेतु रक्षा निर्यात में उद्योगों के लिए अवसरों पर एक पैनल चर्चा की अध्यक्षता करेंगे।

एयरो इंडिया 2025 के बैनर तले, 12 फरवरी को रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) द्वारा ‘सामर्थ्य’ थीम पर स्वदेशीकरण और समापन समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसका उद्देश्य स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक तकनीकों के योगदानकर्ताओं को पहचान दिलाना और सम्मानित करना है। डीआरडीओ द्वारा विकसित पांच उत्पादों को प्रदर्शन के लिए मान्यता दी गई है और इन उत्पादों के टीम लीडर को रक्षा मंत्री द्वारा सम्मानित किया जाएगा। विवरण इस प्रकार है:

  • वाई दिलीप, निदेशक, एडीई, बेंगलुरु, कम्प्यूटरीकृत पायलट चयन प्रणाली (सीपीएसएस)
  • डॉ एमएसवाई शिव प्रसाद, पीडी रुद्रएम II, आरसीआई हैदराबाद
  • एम. बैकियालक्ष्मी, सीएबीएस बेंगलुरु, स्वचालित आश्रित निगरानी प्रसारण (एडीएस-बी) रिसीवर के लिए
  • टी सिरीशा, आरसीआई, नौसेना एंटी-शिप मिसाइल-छोटी दूरी के लिए
  • विशाल द्विवेदी, सीएफईईएस दिल्ली को बीएमपी, टी-72 और टी-90 के लिए एकीकृत अग्नि जांच और दमन प्रणाली हेतु फायर वायर के लिए।

एयरो इंडिया आयोजन से पहले, डीआरडीओ ने 8 से 9 फरवरी, 2025 तक बेंगलुरु में एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एईएसआई) के साथ मिलकर द्विवार्षिक एयरो इंडिया अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के 15 वें संस्करण का आयोजन किया। इस सेमिनार का विषय था ‘भविष्य की एयरोस्पेस तकनीकें: डिजाइन सत्यापन में चुनौतियां’। इसमें भविष्य की एयरोस्पेस तकनीकों और सैन्य उड़ान योग्यता और प्रमाणन में उभरते रुझान:डिजाइन और परीक्षण में चुनौतियां शामिल थीं। इस सेमिनार ने अत्याधुनिक तकनीकों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की और एयरोस्पेस व रक्षा प्रौद्योगिकियों के भविष्य को आगे बढ़ाते हुए सहयोगात्मक अनुसंधान के अवसरों का पता लगाने और रणनीतिक साझेदारी बनाने के लिए एक मंच भी प्रदान किया।

एयरो इंडिया 2025 में डीआरडीओ की प्रदर्शनी, भारतीय एयरोस्पेस के लिए आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय गौरव की भावना के साथ सैन्य प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास को बढ़ावा देने का एक शानदार अवसर है। समर्थ और सशक्त भारत के दृष्टिकोण की दिशा में काम करते हुए, डीआरडीओ सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक तकनीकों/उपकरणों से लैस करके देश की स्वदेशी क्षमताओं का विकास कर रहा है और निजी क्षेत्र के साथ सहयोग के माध्यम से रक्षा क्षेत्र को मजबूत कर रहा है।

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