विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अबू धाबी में रायसीना डायलॉग के उद्घाटन सत्र में अपने मुख्य भाषण में भारत और मध्य पूर्व संबंधों के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला। व्यापार, संपर्क और सांस्कृतिक संबंधों में एक दशक से चली आ रही वृद्धि का उल्लेख करते हुए उन्होंने आज के बदलते वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी को महत्वपूर्ण बताया।
डॉ. जयशंकर ने प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण को याद किया, जिसने वैश्विक चर्चाओं में भारत की भूमिका को बढ़ावा देने वाले रायसीना डायलॉग को जन्म दिया।
डॉ. एस. जयशंकर ने अमरीका-चीन प्रतिस्पर्धा और डिजिटल अर्थव्यवस्था के उदय सहित वैश्विक रुझानों को रेखांकित किया, और परिवर्तनशील भागीदारी की हिमायत की। उन्होंने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे जैसी पहलों के माध्यम से संपर्क को रेखांकित किया।
डॉ. एस. जयशंकर ने खाद्य सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा तथा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर जोर दिया। परंपरा और नवाचार में संतुलन स्थापित करते हुए उन्होंने उभरती वैश्विक व्यवस्था में साझा चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोग का आह्वान किया।
हाल के वर्षों में, विशेषकर खाड़ी देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध काफी गहरे हुए हैं। भारत और खाड़ी के बीच व्यापार सालाना 160 से 180 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। इतना ही नही इस क्षेत्र में 90 लाख से अधिक भारतीय इस क्षेत्र में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं।
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