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पांचवीं वैश्विक मानक संगोष्ठी (जीएसएस-24) आज नई दिल्ली में संपन्न हुई

पांचवीं वैश्विक मानक संगोष्ठी (जीएसएस-24) आज नई दिल्ली में संपन्न हुई। यह संगोष्ठी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहली बार आयोजित की गई। अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) द्वारा आयोजित और भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की मेजबानी में हुई इस ऐतिहासिक संगोष्ठी में दुनिया भर के रिकॉर्ड 1500 अग्रणी नीति-निर्माता, नवोन्मेषक और विशेषज्ञ, डिजिटल परिवर्तन के भविष्य और उभरती प्रौद्योगिकी के अगले स्तर को सक्षम करने में अंतर्राष्ट्रीय मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए।

समापन समारोह को संबोधित करते हुए संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अभूतपूर्व परिवर्तन हासिल किया है जिसे अब वैश्विक स्वीकृति मिली है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों का विकास समावेशी और लोकतांत्रिक होना चाहिए जो सभी क्षेत्रों की आवश्यकताओं को प्रतिबिंबित करे और विकासशील देशों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करे। डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि इस उल्लेखनीय संगोष्ठी के समापन पर उन्हें विश्वास है कि हम जो मानक स्थापित करते हैं, वे केवल तकनीकी मानक नहीं हैं, वे नैतिक दिशा-निर्देश भी हैं जो हमें साझा वैश्विक प्रगति के भविष्य की ओर ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत इस यात्रा को अकेले नहीं, बल्कि सभी के साथ भागीदार के रूप में आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।

इस संगोष्ठी का विषय ‘अगली डिजिटल लहर की रूपरेखा तैयार करना: उभरती हुई तकनीक, नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय मानक’ था। इसमें उभरती हुई तकनीक के प्रशासन और मानकीकरण के लिए एक सुसंगत और दूरदर्शी दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर चर्चा हुई। जीएसएस एक उच्च-स्तरीय मंच के रूप में कार्य करता है जो प्रौद्योगिकी और मानकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और समन्वय के लिए एक माध्यम प्रदान करता है।

केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने सुबह कार्यक्रम का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने दूरसंचार और डिजिटल नवाचार के वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की भूमिका पर बल दिया और विज्ञान, नवाचार व नियमों की भूमि के रूप में भारत की भूमिका का उल्लेख किया जो दुनिया की समृद्धि में सहायक है।

संगोष्ठी में एक उच्च-स्तरीय सत्र था जिसमें उद्योग जगत के नेताओं और मंत्रियों के बीच सहयोग को सुगम बनाया गया और नवाचार तथा डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के भविष्य पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस कार्यक्रम में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) प्रशासन के लिए मजबूत अंतरराष्ट्रीय मानकों का आह्वान किया गया। संगोष्ठी में विकसित और विकासशील देशों के बीच मानकों के अंतर को पाटने की आवश्यकता पर बल दिया गया जिससे प्रौद्योगिकी तक सभी के लिए समान पहुंच सुनिश्चित हो सके।

प्रमुख सत्रों में ओपन-सोर्स प्रौद्योगिकी, ब्लॉकचेन-आधारित प्रमाणीकरण और सार्वजनिक सेवाओं और उद्योग पर एआई और मेटावर्स के प्रभाव की भूमिका पर चर्चा की गई और अधिक समावेशी तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए डेवलपर्स के साथ सहयोग पर बल दिया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत एआई मानक शिखर सम्मेलन में इस बारे में भी चर्चा की गई कि कैसे आम सहमति-आधारित मानक विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं और तकनीकी विकास हो सकता है।

सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने जीएसएस 2024 की अध्यक्षता की। यह पहली बार है जब भारत ने इस संगोष्ठी का नेतृत्व किया है। संगोष्ठी के समापन पर एक दस्तावेज़ जारी किया गया जिसमें वैश्विक स्तर पर डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने में अंतर्राष्ट्रीय मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया गया। डॉ. उपाध्याय ने प्रमुख निष्कर्ष प्रस्तुत किए जो इस तरह से हैं:

  1. डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देना: संगोष्ठी के समापन पर पारित दस्तावेज वैश्विक स्तर पर डिजिटल रूपांतरण के लिए आधारशिला के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को रेखांकित करता है।
  2. वैश्विक नेताओं को एकजुट करना: जीएसएस-24 ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिक पर मानकों के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए उद्योग जगत के दिग्गजों और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाया।
  3. मानकों के माध्यम से नवाचार: एआई मानक शिखर सम्मेलन ने दिखाया कि कैसे आम सहमति-आधारित मानक विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दे सकते हैं।
  4. अंतर को कम करना: इस संगोष्ठी में विकसित और विकासशील देशों के बीच मानक अंतर को पाटने की आवश्यकता पर बल दिया गया जिससे प्रौद्योगिकी तक सभी की समान पहुंच सुनिश्चित हो सके।
  5. एआई और मेटावर्स का उपयोग: जीएसएस-24 ने सार्वजनिक सेवाओं और शहरी नियोजन में एआई और मेटावर्स की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला तथा आईटीयू से वर्चुअल वर्ल्ड पर वैश्विक पहल जैसी पहलों को मजबूत करने का आग्रह किया।
  6. सतत विकास लक्ष्यों में तेजी लाना: इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया जिससे सतत डिजिटल रूपांतरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  7. उच्च स्तरीय संवाद: एक अभूतपूर्व उच्च स्तरीय सत्र में उद्योग जगत के नेताओं और मंत्रियों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया गया जिसमें नवाचार और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के भविष्य पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  8. एआई गवर्नेंस की स्थापना: जीएसएस-24 ने एआई प्रशासन के लिए मजबूत अंतर्राष्ट्रीय मानकों का आह्वान किया तथा ‘एआई फॉर गुड’ और ‘एआई फॉर स्किल्स’ गठबंधन जैसी पहलों को भी प्रोत्साहित किया।
  9. ओपन सोर्स को सशक्त बनाना: इस संगोष्ठी में नवाचार को बढ़ावा देने में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी गई तथा अधिक समावेशी तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए डेवलपर्स के साथ सहयोग पर बल दिया गया।
  10. स्मार्ट शहरों की उपलब्धि: जीएसएस-24 ने स्मार्ट और टिकाऊ पहलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शहरों को मान्यता दी तथा आईटीयू, यूएनईसीई और यूएन-हैबिटेट के नेतृत्व में यूनाइटेड फॉर स्मार्ट सस्टेनेबल सिटीज (यू4एसएससी) पहल के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत किया।

वैश्विक मानक संगोष्ठी 2024 ने उभरती प्रौद्योगिकी के भविष्य के लिए सफलतापूर्वक आधार तैयार किया। साथ ही यह भी दिखाया कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मानकीकरण समावेशी विकास सुनिश्चित करते हुए नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं। संगोष्ठी के समापन पर पारित दस्तावेज़, 15 से 24 अक्टूबर तक नई दिल्ली में आयोजित हो रहे विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा (डब्ल्यूटीएसए-24) में चर्चा के लिए एक आधार तैयार करता है।

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