भारत सरकार ने नए उद्योगों की स्थापना के लिए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) और स्थापना की सहमति (सीटीई) के दोहरे अनुपालन को समाप्त करने की उद्योग जगत की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार कर लिया है। अब गैर-प्रदूषणकारी श्वेत श्रेणी के उद्योगों को सीटीई या संचालन की सहमति (सीटीओ) लेने की आवश्यकता नहीं होगी। जिन उद्योगों ने ईसी ले लिया है, उन्हें सीटीई लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे न केवल अनुपालन भार कम होगा, बल्कि अनुमोदनों के दोहराव को भी रोका जा सकेगा। इस संबंध में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचनाएं वायु अधिनियम और जल अधिनियम के अंतर्गत जारी की गई हैं।
अधिसूचना प्रभावी रूप से इन दोनों अनुमोदनों को एकीकृत करती है और इस संबंध में एक मानक प्रक्रिया भी जारी की गई है, ताकि ईसी में सीटीई प्रक्रिया के दौरान विचार किए गए मुद्दों को ध्यान में रखा जा सके। ईसी प्रक्रिया के दौरान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से परामर्श किया जाएगा। इसके अलावा, सीटीई शुल्क का भुगतान उद्योग द्वारा किया जाना आवश्यक होगा, ताकि राज्यों को राजस्व का कोई नुकसान न हो।
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