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वियतनाम के थान टैम पैगोडा में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन प्राप्त किये

वियतनाम के थान टैम पैगोडा में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन प्राप्त किये हैं, जो वर्तमान में हो ची मिन्ह शहर के बिन्ह चान्ह जिले में वियतनाम बौद्ध अकादमी के भीतर रखे गए हैं। भारत से केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और आंध्र प्रदेश के मंत्री कंडुला दुर्गेश के नेतृत्व में एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल द्वारा इन पवित्र अवशेषों को ले जाया गया है, जिसमें ज्येष्ठ भिक्षु और अधिकारी भी शामिल थे।

जिस स्तूप में अवशेषों को रखा गया है, वहां सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। इसे भारत की राष्ट्रीय धरोहर माना जाता है। श्रद्धालुओं की तीन किलोमीटर लंबी कतार शनिवार को देखी गई, जो वियतनामी लोगों के बीच गहन आध्यात्मिक प्रतिध्वनि और भक्ति को परिभाषित करती है।

भगवान बुद्ध (शाक्यमुनि) की खोपड़ी की हड्डी के एक हिस्से सहित पवित्र अवशेषों को वर्ष 1898 में ब्रिटिश पुरातत्वविद विलियम क्लैक्सटन पेप्पे द्वारा भारत-नेपाल सीमा के पास कपिलवस्तु में खुदाई करके प्राप्त किया गया था। ये अवशेष 1997 में थाई कारीगरों द्वारा तैयार किए गए स्वर्ण-चढ़ाए गए स्तूप में स्थापित हैं, जिसके शिखर पर 109 ग्राम सोना जड़ा हुआ है। यह भगवान बुद्ध के प्रति वैश्विक श्रद्धा का प्रमाण है।

भगवान बुद्ध के अवशेष भारतीय वायुसेना के विमान से 2 मई, 2025 को तान सोन न्हाट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे और औपचारिक रूप से थान टैम पैगोडा ले जाए गए। इन अवशेषों का सार्वजनिक प्रदर्शन कड़े सुरक्षा प्रबंधों के तहत किया जा रहा है, जो किसी देश के राष्ट्र अध्यक्ष के दौरे के बराबर है। यह वास्तव में उनके पवित्र और कूटनीतिक महत्व को प्रदर्शित करता है।

पवित्र अवशेष संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस समारोह के भाग के रूप में 21 मई, 2025 तक वियतनाम में रहेंगे। पवित्र अवशेष बा डेन माउंटेन नेशनल टूरिस्ट एरिया (ताई निन्ह), क्वान सू पैगोडा (हनोई) और तम चुक पैगोडा (हा नाम) सहित प्रमुख बौद्ध स्थलों पर भी ले जाए जायेंगे, जिससे भारत और वियतनाम के बीच आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती मिलेगी।

संयुक्त राष्ट्र दिवस वेसाक 2025 की विषय-वस्तु “मानव सम्मान के लिए एकता और समावेशिता: विश्व शांति और सतत विकास के लिए बौद्ध अंतर्दृष्टि” है। यह 6 मई से 8 मई तक मनाया जाएगा। इस वैश्विक कार्यक्रम में 85 देशों और क्षेत्रों से 1,200 से अधिक प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है, जिनमें राष्ट्राध्यक्ष, धार्मिक नेता व विद्वान शामिल होंगे।

भारत की भागीदारी और इन पवित्र अवशेषों की मेजबानी दोनों देशों के बीच गहन सभ्यतागत बंधन तथा साझा बौद्ध विरासत को दर्शाती है।

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