भारत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संस्कृत के विद्वान स्‍वामी रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में महामहिम राष्ट्रपति ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य को बधाई दी। उन्होंने ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए गुलज़ार को भी बधाई दी, जो पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने कामना की कि गुलज़ार जी जल्द ही पूरी तरह स्वस्थ और सक्रिय होकर कला, साहित्य, समाज और देश के लिए अपना योगदान देते रहें।

राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य समाज को जोड़ता भी है और जगाता भी है। 19वीं सदी के सामाजिक जागरण से लेकर 20वीं सदी के हमारे स्वतंत्रता संग्राम तक, कवियों और रचनाकारों ने जन-जन को जोड़ने में महानायकों की भूमिका निभाई है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ गीत लगभग 150 वर्षों से भारत माता की संतानों को जागृत करता रहा है और सदैव करता रहेगा। वाल्मीकि, व्यास और कालिदास से लेकर रवींद्रनाथ ठाकुर जैसे शाश्वत कवियों की रचनाओं में हमें जीवंत भारत का स्पंदन महसूस होता है । यह स्पंदन ही भारतीयता का स्वर है।

राष्ट्रपति ने 1965 से विभिन्न भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट साहित्यकारों को पुरस्कृत करने के लिए भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्यकारों को पुरस्कृत करने की प्रक्रिया में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार के चयनकर्ताओं ने श्रेष्ठ साहित्यकारों का चयन किया है तथा इस पुरस्कार की गरिमा का संरक्षण और संवर्धन किया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित आशापूर्णा देवी, अमृता प्रीतम, महादेवी वर्मा, कुर्रतुल-ऐन-हैदर, महाश्वेता देवी, इंदिरा गोस्वामी, कृष्णा सोबती और प्रतिभा राय जैसी महिला रचनाकारों ने भारतीय परंपरा और समाज को विशेष संवेदनशीलता के साथ देखा और अनुभव किया है तथा हमारे साहित्य को समृद्ध किया है। उन्होंने कहा कि हमारी बहनों और बेटियों को इन महान महिला रचनाकारों से प्रेरणा लेकर साहित्य सृजन में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए तथा हमारी सामाजिक सोच को और अधिक संवेदनशील बनाना चाहिए।

महामहिम राष्ट्रपति ने श्री रामभद्राचार्य जी के बारे में कहा कि उन्होंने श्रेष्‍ठता का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनके बहुमुखी योगदान की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दृष्टि बाधित होने के बावजूद उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से साहित्य और समाज की असाधारण सेवा की है। उन्होंने कहा कि श्री रामभद्राचार्य ने साहित्य और समाज सेवा दोनों ही क्षेत्रों में व्यापक योगदान दिया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनके यशस्‍वी जीवन से प्रेरणा लेकर आने वाली पीढ़ियाँ साहित्य सृजन, समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण के सही मार्ग पर आगे बढ़ती रहेंगी।

Editor

Recent Posts

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास-भारत NCX 2025 का शुभारंभ: सक्रिय क्षमता निर्माण के माध्यम से भारत की साइबर क्षमता को बढ़ावा मिलेगा

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास - भारत एनसीएक्स 2025 का आधिकारिक उद्घाटन उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार…

57 मिन ago

संसद का मॉनसून सत्र आज से शुरू

संसद का मॉनसून सत्र आज से शुरू होकर 21 अगस्‍त तक चलेगा। इस दौरान कुल…

7 घंटे ago

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्‍स निर्यात 47 प्रतिशत बढ़ा; अमरीका, UAE और चीन को सर्वाधिक निर्यात

मौजूदा वित्‍तीय वर्ष की पहली तिमाही में भारत के इलेक्‍ट्रॉनिकी वस्‍तुओं के निर्यात में 47…

7 घंटे ago

IMF ने कहा- इस वर्ष जून में UPI से 18 अरब 39 करोड़ लेनदेन के साथ भारत तीव्र भुगतान में सबसे आगे

अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा 2016 में लॉन्च…

7 घंटे ago

असम सरकार ने राज्य में डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दुग्‍ध सब्सिडी योजना शुरू की; किसानों को दूध पर पांच रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी मिलेगी

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने डेयरी किसानों की आत्मनिर्भरता बढ़ाने और राज्य में…

7 घंटे ago

गृह मंत्री अमित शाह ने हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति व तीव्रता को देख एक बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम के गठन का निर्देश दिया

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति व तीव्रता…

23 घंटे ago