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कच्चे तेल के आयात में कमी लाने और हाइड्रोकार्बन उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदम

सरकार ने कच्चे तेल के आयात में कमी लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें अन्य बातों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने और गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने की दिशा में देश भर में ईंधन/फ़ीडस्टॉक के रूप में प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देकर मांग प्रतिस्थापन, इथेनॉल, दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल, संपीड़ित बायो गैस और बायोडीजल जैसे नवीकरणीय और वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देना, रिफाइनरी प्रक्रिया में सुधार, ऊर्जा दक्षता और संरक्षण को बढ़ावा देना, विभिन्न नीतिगत पहलों के माध्यम से तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास आदि शामिल हैं। इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम पर व्‍यापक बल देने के लिए भारत सरकार तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के माध्यम से देश भर में 2 जी इथेनॉल संयंत्र स्थापित कर रही है। इसके अलावा, ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में संपीड़ित बायो गैस (सीबीजी) के उपयोग को बढ़ावा देने, किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प (एसएटीएटी) पहल शुरू की गई है।

सरकार हाइड्रोकार्बन उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है, जिनमें अन्य के साथ-साथ निम्‍नलिखित कदम शामिल हैं:

  • हाइड्रोकार्बन खोजों के शीघ्र मुद्रीकरण के लिए उत्पादन साझाकरण अनुबंध (पीएससी) व्यवस्था के अंतर्गत छूट, विस्तार और स्पष्टीकरण के लिए नीति, 2014
  • खोजे गए लघु क्षेत्र नीति, 2015
  • हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (हेल्प), 2016
  • उत्पादन साझाकरण अनुबंधों के विस्तार की नीति, 2016 और 2017
  • कोल बेड मीथेन के शीघ्र मुद्रीकरण के लिए नीति 2017
  • नेशनल डेटा रिपोजिटरी की स्थापना, 2017। इसके अलावा, नेशनल डेटा रिपोजिटरी (एनडीआर) को अब क्लाउड-आधारित प्रणाली में अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि वैश्विक निवेशकों को अन्वेषण और उत्पादन डेटा का निर्बाध प्रसार किया जा सके
  • राष्ट्रीय भूकंपीय कार्यक्रम, 2017 के अंतर्गत तलछटी बेसिनों में मूल्‍यांकन नहीं किए गए क्षेत्रों का मूल्यांकन;
  • हाइड्रोकार्बन संसाधनों का पुनर्मूल्यांकन, 2017
  • प्री-एनईएलपी और एनईएलपी ब्लॉक 2018 में उत्पादन साझाकरण अनुबंधों के कामकाज को सुचारु बनाने का नीतिगत ढांचा
  • प्री-न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (प्री-एनईएलपी), 2016 और 2017 के तहत खोजे गए क्षेत्रों और अन्वेषण ब्लॉकों के लिए उत्पादन साझाकरण अनुबंधों के विस्तार के लिए नीतिगत ढांचा
  • तेल और गैस के लिए उन्नत पुनर्प्राप्ति विधियों को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने की नीति, 2018
  • कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और उसकी सहायक कंपनियों को आवंटित कोयला खनन पट्टे के तहत क्षेत्रों से कोल बेड मीथेन (सीबीएम) की खोज और दोहन हेतु नीतिगत ढांचा, 2018।
  • मौजूदा उत्पादन साझाकरण अनुबंधों (पीएससी), कोल बेड मीथेन (सीबीएम) अनुबंधों और नामांकन क्षेत्रों के तहत अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन की खोज और दोहन के लिए नीतिगत ढांचा, 2018
  • तेल और गैस के घरेलू अन्वेषण और उत्पादन को बढ़ाने के लिए हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति में सुधार, 2019
  • प्राकृतिक गैस विपणन सुधार, 2020
  • ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम (ओएएलपी), 2023 के तहत खंडों के लिए मॉडल राजस्व साझाकरण अनुबंध (आरएससी) में सुधार।
  • बोलीदाताओं को आकर्षित करने के लिए कम रॉयल्टी दरें, शून्य राजस्व हिस्सेदारी (अप्रत्याशित लाभ तक) तथा श्रेणी II एवं III के अंतर्गत ओएएलपी ब्लॉक में चरण- I में कोई ड्रिलिंग प्रतिबद्धता नहीं।
  • अपतटीय क्षेत्र में दशकों से अन्वेषण के लिए अवरुद्ध रहे लगभग 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर के ‘नो-गो’ क्षेत्र को मुक्त करना। इस पूर्ववर्ती ‘नो-गो’ क्षेत्र में, के मुक्‍त हो जाने के बाद, अब तक 1,52,325 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के लिए बोलियां/रुचि की अभिव्यक्ति प्राप्त हुई है। ओएनजीसी द्वारा हाल ही में महानदी अपतटीय में दो गैस खोज की गई हैं, जिसमें 94 प्रतिशत क्षेत्र ‘नो-गो’ क्षेत्र में है। अंडमान अपतटीय क्षेत्र को भी 2022 में रक्षा और अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के बाद लंबे समय के बाद अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों के लिए खोल दिया गया है।
  • अब तक, ओएएलपी के तहत दिए गए ब्लॉकों में 12 हाइड्रोकार्बन खोजें की गई हैं, जिनमें से एक गुजरात में पहले से ही गैस (0.44 एमएमएससीएमडी) और कंडेनसेट (819 बीबीएल/दिन) का उत्पादन कर रहा है जबकि अन्य खोजों का मूल्यांकन किया जा रहा है।
  • सरकार बोलीदाताओं को भारतीय तलछटी बेसिनों के गुणवत्ता वाले डेटा उपलब्ध कराने के लिए भूमि और अपतटीय क्षेत्रों में भूकंपीय डेटा के अधिग्रहण और स्ट्रेटीग्राफिक कुओं की ड्रिलिंग के लिए लगभग 7500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
  • सरकार ने भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) से परे भूमि पर 20,000 एलकेएम और अपतटीय में 30,000 एलकेएम के अतिरिक्त 2डी भूकंपीय डेटा के अधिग्रहण को भी मंजूरी दे दी है।
  • कोल बेड मीथेन (सीबीएम) का उत्पादन 2 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन तक पहुंच गया है और आने वाले वर्षों में इसमें और वृद्धि होगी। भविष्य के बोली दौर में पेशकश के लिए और अधिक ब्लॉकों की पहचान की जा रही है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 तक खोजे गए छोटे क्षेत्रों (डीएसएफ) से संचयी उत्पादन ~5,56,000 बीबीएल तेल और ~139 एमएमएससीएम गैस है। भविष्य के दौर में पेशकश के लिए और अधिक क्षेत्रों की योजना बनाई जा रही है।

यह जानकारी पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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