गाम्बिया के मध्य-स्तर के सिविल सेवकों के लिए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (एमईए) के साथ साझेदारी में दो सप्ताह का चौथा मिड-करियर प्रशिक्षण कार्यक्रम 7 जून 2024 को नई दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में गाम्बिया के प्रमुख मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले 30 अधिकारियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में कार्मिक प्रशासन और शासन 2019-24 पर भारत गाम्बिया समझौता ज्ञापन के सफल कार्यान्वयन को चिह्नित किया गया।
इस कार्यक्रम के समापन सत्र के दौरान, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव और राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) के महानिदेशक वी. श्रीनिवास, आईएएस ने कार्यवाही की अध्यक्षता की और प्रतिभागियों को बधाई दी। उन्होंने कार्मिक प्रशासन और शासन 2019-24 पर भारत-गाम्बिया के पांच वर्षीय समझौता ज्ञापन के सफल कार्यान्वयन के लिए आभार व्यक्त किया। समापन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल परिवर्तन कैसे आर्थिक विकास को गति दे सकता है, सेवा वितरण को बढ़ा सकता है और समावेशी विकास को बढ़ावा दे सकता है। वी. श्रीनिवास ने शासन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, पारदर्शिता में सुधार करने और सार्वजनिक प्रशासन में दक्षता बढ़ाने के लिए डिजिटल उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने डिजिटल डिवाइड (डिजिटल सुविधा तक पहुंच में कमी) को पाटने यानी डिजिटल सेवाओं की सर्वसुलभता के लिए डिजिटल पहल की क्षमता पर चर्चा की और इस प्रकार यह सुनिश्चित किया कि तकनीकी प्रगति का लाभ समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से वंचित और हाशिए पर पड़े समुदायों तक पहुंचे।
एनसीजीजी के महानिदेशक वी. श्रीनिवास ने कहा कि दोनों देशों में शासन को बेहतर करने के लिए ज्ञान का परस्पर आदान-प्रदान करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे गाम्बिया में भारत के सुशासन मॉडल को अपनाने से बड़े पैमाने पर विकास हो सकता है, जिससे दोनों देशों की उन्नति में लाभ मिल सकता है।
कार्यक्रम के दौरान, गाम्बिया के सिविल सेवक अधिकारियों ने डिजिटल गाम्बिया, गाम्बिया में महिला सशक्तिकरण और गाम्बिया में सामाजिक कल्याण योजना जैसे विषयों पर प्रस्तुतिया दीं। इन प्रस्तुतियों को प्रतिनिधियों ने खूब सराहा। महिला सशक्तिकरण पर अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए ग्रुप दो को पहला स्थान हासिल हुआ।
भारत में गाम्बिया के राजदूत मुश्तफा जावरा ने अनुभव और ज्ञान के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए एनसीजीजी प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने इस बहुमूल्य अवसर को प्रदान करने के लिए एनसीजीजी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। मुश्तफा जावरा ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में ऐसे कार्यक्रमों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय शासन मॉडल को अपनाने और उससे सीखने से गाम्बिया में पर्याप्त और सकारात्मक विकासात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं, जिससे बेहतर शासन और बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ावा मिल सकता है।
इस कार्यक्रम के दौरान, एसोसिएट प्रोफेसर और पाठ्यक्रम संयोजक डॉ. एपी सिंह ने प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे अधिकारियों के लिए तैयार किए गए पाठ्यक्रम और परामर्शदाताओं के साथ बातचीत ने एनसीजीजी को गाम्बिया से अमूल्य सीखने के अनुभव प्रदान किए। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम न केवल ज्ञान साझा करने में मदद करते हैं बल्कि अधिकारियों के साथ बातचीत के अवसर भी पैदा करते हैं, जिससे मूल्यवान मित्रता बढ़ती है। एनसीजीजी भविष्य में गाम्बिया से और अधिक अधिकारियों की मेजबानी करने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र, भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है। एनसीजीजी के प्रयास ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी “पूरा विश्व एक परिवार है” के भारतीय दर्शन के अनुरूप हैं और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और अन्य देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर देते हैं।
एनसीजीजी ने विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में, 17 देशों बांग्लादेश, मालदीव, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, इरेट्रिया और कंबोडिया के सिविल सेवकों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण दिया है। एनसीजीजी को सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण के क्षेत्र में सहयोग के लिए कई देशों से अनुरोध प्राप्त हुए हैं। इस अवसर पर राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) में सलाहकार और मुख्य प्रशासन अधिकारी प्रिस्का पॉली मैथ्यू, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमाशी रस्तोगी, और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गजाला हसन ने भी समापन सत्र की शोभा बढ़ाई।
पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. ए.पी. सिंह, सह-पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. मुकेश भंडारी और कार्यक्रम सहायक संजय दत्त पंत ने संपूर्ण क्षमता निर्माण कार्यक्रम का पर्यवेक्षण किया।
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