कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज उत्तर प्रदेश के मोगा ढाबा, रामपुर में किसानों से संवाद किया। ‘चौपाल पर चर्चा’ के दौरान विभिन्न नवाचारों, समस्याओं और भावी नीतियों को लेकर विस्तारपूर्वक बातचीत की।
किसानों से संवाद की शुरूआत केंद्रीय मंत्री ने धान रोपाई की जानकारी से की। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि करीब 60 हजार गांवों में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत वैज्ञानिकों ने गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद किया। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहली बार देखने को मिला जब इतनी बड़ी संख्या में ‘लैंब टू लैंड’ विजन के साथ वैज्ञानिकों ने किसानों से सीधा संवाद किया। शिवराज सिंह ने कहा कि अब अनुसंधान खेत और किसानों की समस्याओं व जरूरतों के आधार पर किया जाएगा। उन्होंने किसानों से उत्तर प्रदेश की प्रमुख फसलों चावल, गेहूं और गन्ने के संबंध में शोध के लिए किसानों से सुझाव भी मांगे ताकि उसी के अनुरूप आगे की रणनीतियों पर कार्य किया जा सके।
किसानों ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह को बताया कि धान की 1509 वैरायटी में रोग की समस्याएं आ रही हैं, जिस संबंध में केंद्रीय मंत्री ने त्वरित वैज्ञानिकों को इस समस्या को दूर करने, नई उन्नत किस्म की उपज की जानकारी देने और रोग प्रतिरोधी वैरायटी विकसित करने की दिशा में काम करने के लिए दिशा-निर्देश दिए। किसानों ने सोलर पैनल को लेकर भी संवाद किया, इस दिशा में भी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने ठोस कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई।
शिवराज सिंह ने बताया कि चावल पर निर्यात प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया है। दुनिया में कही भी जहां किसानों को चावल उत्पादन के अच्छे दाम मिले वहां वह उसे बेच सके इसकी व्यवस्था कर दी गई है। साथ ही न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को भी खत्म कर दिया गया है।
संवाद के दौरान किसानों ने शिवराज सिंह चौहान से मृदा की स्वास्थ्य जांच के लिए गांव और निचले स्तर पर ही प्रयोगशालाओं के निर्माण का अनुरोध किया। इस संबंध में भी केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस प्रस्ताव को एक कारगार सुझाव बताते हुए कहा कि मृदा में पोषक तत्वों की जांच होनी जरूरी है। सरकार मृदा स्वास्थ्य की जांच को लेकर बहुत गंभीर है। अब ऐसी आधुनिकतम तकनीके उपलब्ध है, जिनके जरिए मृदा की जांच के बाद परिणाम के लिए बहुत लंबा इंतजार करने की आवश्यक्ता नही पड़ती। जांच के बाद 15 मिनट के अंदर नतीजे मिल जाते है। सरकार इन आधुनिकतम तकनीकों के प्रचार-प्रसार और इनकी किसानों तक पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए अभियान के रूप में काम करेगी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने गेहूं और मक्के की खेती से जुड़ी किसानों की समस्याओं को भी सुना और वैज्ञानिकों से उचित कदम उठाने के निर्देश दिए।
किसानों से संवाद के दौरान कीटनाशकों के संतुलित उपयोग और बागवानी में वायरस अटैक को लेकर भी चर्चा हुई। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वैधानिक व्यवस्था के द्वारा खाद और कीटनाशकों को लेकर ठोस प्रबंध किए जा रहे हैं। अमानक खाद, बीज और कीटनाशक बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी किसान को अनावश्यक रूप से खाद या कीटनाशक खरीदने के लिए मजबूर ना किया जाए।
अंत में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों की तकलीफ और उनकी जरूरतों के हिसाब से आगे की रणनीतियां तय करने के लिए सप्ताह में दो दिन खेतों में जाकर किसानों से मिलूंगा।
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