केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आईआईआईटी-दिल्ली के टेक फेस्ट ‘ईएसवाईए’ में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए युवाओं से ‘विश्वगुरु भारत’ के रूप में भारत के अगले अध्याय का नेतृत्व करने का जोरदार आह्वान किया। भारत के वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में भारत की गौरवशाली विरासत का उल्लेख करते हुए ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा, “आर्यभट्ट के शून्य से लेकर चिकित्सा विज्ञान और शल्य चिकित्सा में हुई उन्नति तक, नालंदा और तक्षशिला ने दुनिया भर से ज्ञान के जिज्ञासुओं को अपनी और आकर्षित किया। ज्ञान की यह खोज हमारे डीएनए में है। हार्वर्ड का सबसे बड़ा पुस्तकालय भी नालंदा के सामने फीका पड़ जाता है। वह चिंगारी आज भी हमारे भीतर मौजूद है।”
टेक फेस्ट को “साहसिक सपनों को हकीकत में बदलने करने का लांचपैड” बताते हुए सिंधिया ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का उदय इसके युवाओं के कंधों पर टिका है।
एआई, 6जी और क्वांटम: अगली सदी के लिए निर्माण
प्रौद्योगिकी पर बोलते हुए उन्होंने एआई की भूमिका दोहराई और कहा कि जिस प्रकार 40 वर्ष सूचना प्रौद्योगिकी ने परिवर्तन किया, वैसा ही आज एआई करेगा। लेकिन कार्य केवल एआई का निर्माण करना नहीं है, बल्कि ‘सभी के लिए ज़िम्मेदार एआई’ का बनाना है, जो मानवता को ऊंचा उठाए, ना कि उस पर हावी हो। ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अग्रणी प्रौद्योगिकियों में भारत की बढ़ती नेतृत्व क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीटीडीएफ) ने पहले ही 120 से अधिक भविष्योन्मुखी परियोजनाओं में निवेश किया है, जिनमें क्वांटम कंप्यूटिंग, टेराहर्ट्ज़ संचार, बायो-नैनो सिस्टम, स्वदेशी चिपसेट और एन्क्रिप्टेड राउटर शामिल हैं। उन्होंने पुन: पुष्टि की कि भारत का लक्ष्य 6जी में वैश्विक अग्रणी बनना है और 2030 तक विश्व के कुल पेटेंट में कम से कम 10 प्रतिशत योगदान देना है और इस महत्वकांक्षी लक्ष्य का केंद्र भारत के विद्यार्थी ही हैं।
मूल्यों को केंद्र में रखें: भारत के लिए निर्माण
ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने छात्रों को याद दिलाया कि भारत का उदय इसके सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित है : “हम एक ऐसा देश हैं जिसने कभी युद्ध की बात नहीं की, जो वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करता है।” उन्होंने छात्रों से भारत के लिए ऐसे समाधान बनाने का आग्रह किया, जो सटीक कृषि का इंतजार कर रहे किसान, डिजिटल कक्षा में पढ़ रहे बच्चे और टेली-हेल्थ पर निर्भर छोटे शहर के रोगी के लिए हों।
ब्रेन ड्रेन से ब्रेन गेन की ओर
भविष्य के उन नवप्रवर्तकों को संबोधित करते हुए जो विदेश में अध्ययन कर सकते हैं, ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने उनसे अपील की कि वे सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में अध्ययन करें, सर्वश्रेष्ठ प्रयोगशालाओं में काम करें, लेकिन अपने ज्ञान और अपनी महत्वकांक्षा को लेकर घर वापस आएं और भारत को फिर से ‘सोने की चिड़िया’ बनाएं, ब्रेन ड्रेन को ब्रेन गेन में बदलें।
बीआरबी के तीन मंत्र
अंत में उन्होंने युवाओं को तीन मार्गदर्शक सिद्धांत दिए: “साहसी बनो, अपनी जड़ों से जुड़े रहो और भारत के लिए निर्माण करो”, जिस पर सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने कहा, “अगले 100 वर्षों का अवसर भारत में निहित है। एशिया की, भारत की उस भावना को आगे बढ़ाइए जो विश्व मंच पर प्रकाशमान हो’’।
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