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केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन, 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया

ग्लोबल साउथ जलवायु एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है और दुनिया अब भारत को एक नेता के रूप में देख रही है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2025 में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत ने अकेले 2020 में अपने जीएचजी उत्सर्जन में 7.93% की कटौती की – जो जलवायु कार्रवाई के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। शिखर सम्मेलन का आयोजन द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) द्वारा किया गया। इसका विषय था सतत विकास और जलवायु समाधानों में तेजी लाने के लिए साझेदारी। इस अवसर पर गुयाना के प्रधानमंत्री, महामहिम ब्रिगेडियर मार्क फिलिप और ब्राजील की पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री मरीना सिल्वा मौजूद थीं।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में ग्लोबल साउथ की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग, महत्वाकांक्षा और कार्रवाई बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में वैश्विक स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) और पर्यावरण के लिए मिशन लाइफस्टाइल (एलआईएफई) सहित परिवर्तनकारी वैश्विक पहलों का नेतृत्व किया है।

केंद्रीय मंत्री ने प्रजातिवाद के मुद्दे का सामना करने की आवश्यकता दोहराई, जो नस्लवाद की तरह, अन्य प्रजातियों और पारिस्थितिकी प्रणालियों की भलाई पर मानव हितों को प्राथमिकता देता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सच्ची स्थिरता तभी प्राप्त की जा सकती है जब जीवन के सभी रूपों को समान रूप से महत्वपूर्ण माना जाए और जब पर्यावरण नीतियों में वन्यजीवों और जैव विविधता की सुरक्षा और बहाली को ध्यान में रखा जाए।

भूपेंद्र यादव ने वैश्विक जलवायु नेता के रूप में भारत की भूमिका का अवलोकन किया, जो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि जलवायु कार्रवाई समावेशी, महत्वाकांक्षी और सहयोगात्मक बनी रहे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत सहित वैश्विक दक्षिण जलवायु विमर्श को आकार देने में आवश्यक है क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का नुक्सान से प्रभावित है और साथ ही सतत विकास प्रयासों में निहित समाधान भी पेश कर रहा है। उन्होंने विकसित देशों विशेष रूप से पेरिस समझौते के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने में अपनी वित्तीय और तकनीकी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने का आह्वान किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को मजबूत करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया यह सुनिश्चित करते हुए कि वे जलवायु कार्रवाई की चुनौतियों और अवसरों दोनों को संबोधित करते हैं।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जलवायु अनुकूलन वित्त में वृद्धि की तत्काल आवश्यकता पर बात की। उन्होंने यूएनईपी अनुकूलन अंतर रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें बढ़ते जलवायु प्रभावों से निपटने के लिए अनुकूलन प्रयासों को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने अनुकूलन के लिए अधिक मजबूत वित्तीय सहायता का आह्वान किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबसे कमजोर क्षेत्र ऐसे समाधानों को लागू करने में सक्षम हों जो लचीलापन पैदा करें और आजीविका की रक्षा करें।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने 2047 तक विकसित भारत बनने के भारत के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जिसका लक्ष्य 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना है। उन्होंने भारत की प्रगति पर प्रकाश डाल, जिसमें 2005 से 2020 के बीच सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी शामिल है, जबकि 2030 के लिए 45% लक्ष्य है, और 2025 के केंद्रीय बजट में ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा क्षमता का विस्तार और हरित प्रौद्योगिकियों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को विखंडित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने जलवायु कार्रवाई को व्यापक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया और गरीबी, असमानता और पर्यावरणीय गिरावट जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए मजबूत वैश्विक साझेदारी का आह्वान किया। उन्होंने वैश्विक शासन में सुधारों का आह्वान किया, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से जलवायु वार्ता के केंद्र में समानता और न्याय को रखने का आग्रह किया।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जलवायु कार्रवाई पर वैश्विक दक्षिण को एकजुट करने में टेरी के नेतृत्व की भी प्रशंसा की और एक टिकाऊ, कम कार्बन भविष्य की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए बहु-क्षेत्रीय साझेदारी की आवश्यकता दोहराई।

शिखर सम्मेलन में नितिन देसाई, अध्यक्ष, टेरी, डॉ. विभा धवन, महानिदेशक, टेरी, विषय विशेषज्ञ और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

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