केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने आज नई दिल्ली में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह के दौरान कहा कि नशीले पदार्थों के सेवन के दुष्परिणाम केवल व्यक्ति और उसके परिवार तक ही सीमित नहीं रहते, बल्कि इनका प्रभाव बाहर भी पड़ता है, समुदाय प्रभावित होते हैं और व्यापक सामाजिक विकृति तथा सामाजिक कलंक में योगदान होता है।
श्री बी.एल. वर्मा ने मंत्रालय की ओर से नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर) की सराहना करते हुए कहा कि किस तरह नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) ने नशीली दवाओं की मांग को कम करने में मदद की है। उन्होंने 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की सराहना की, जिसमें यह संदेश – ‘नशे को ना कहें और जीवन को हां कहें’ – एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
हर साल 26 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय मादक द्व्य निषेध और तस्करी रोकथाम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस साल इस कार्यक्रम में नशीली दवाओं की रोकथाम पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम और उपचार के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सामूहिक शपथ, MyGov पर आयोजित नशा मुक्त भारत अभियान प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरण आदि शामिल थे।
कार्यक्रम के दौरान नुक्कड़ नाटक और मूकाभिनय प्रदर्शन ने दर्शकों को इस बात से अवगत कराया कि किस तरह मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाला विकार एक ऐसा मुद्दा है जो देश के सामाजिक ताने-बाने को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। किसी भी पदार्थ पर निर्भरता न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि उसके परिवार और पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। विभिन्न मादक पदार्थों के नियमित सेवन से व्यक्ति की उस पर निर्भरता बढ़ जाती है। कुछ पदार्थ यौगिक न्यूरो-मनोवैज्ञानिक विकारों, हृदय संबंधी बीमारियों के साथ-साथ दुर्घटनाओं, आत्महत्याओं और हिंसा का कारण बन सकते हैं। प्रदर्शनों में इस बात पर जोर दिया गया कि मादक द्रव्यों के सेवन और निर्भरता को एक मनो-सामाजिक-चिकित्सा समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय देश में नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए नोडल मंत्रालय है। इसने महत्वाकांक्षी नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) की शुरुआत की है, जो वर्तमान में देश के सभी जिलों में चल रहा है, जिसका उद्देश्य युवाओं में मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना है, जिसमें उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों, स्कूलों पर विशेष ध्यान दिया गया है और समुदाय तक पहुंचना तथा अभियान में समुदाय की भागीदारी और स्वामित्व प्राप्त करना शामिल है। एनएमबीए के तहत नवीनतम उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
कार्यक्रम में मंत्रालय के अधिकारियों, केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों, आध्यात्मिक संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों/स्वैच्छिक संगठनों, विभाग के निगमों, युवा स्वयंसेवकों आदि सहित लगभग 700 हितधारकों ने भाग लिया। इस दिन की तैयारी के तौर पर, देश भर में एनएपीडीडीआर के तहत विभाग द्वारा समर्थित सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और गैर सरकारी संगठनों/स्वयंसेवी संगठनों से 1 से 26 जून 2025 तक एनएमबीए के तहत जागरूकता कार्यक्रम/कार्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध किया गया था। इस कार्यक्रम के साथ, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग पूरे देश में जन आंदोलन के रूप में अभियान तक पहुंचना सुनिश्चित करता है।
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