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यूपीआई की अब 7 देशों में लेन-देन की सुविधा; यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे प्रमुख बाजार शामिल

वित्त मंत्रालय का वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसी तेज़ भुगतान प्रणाली में तेज़ी लाने के प्रयासों ने वित्तीय लेन-देन के तरीके में क्रांति ला दी है, जिससे लाखों लोगों के लिए वास्तविक समय में सुरक्षित और निर्बाध भुगतान संभव हो गया है। यह पहल सरकार के नकदी रहित और समावेशी अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो प्रत्येक नागरिक को उनके वित्तीय निर्णय में सशक्त बनाती है। पिछले वित्तीय वर्षों की तुलना में, वित्तीय वर्ष 2023-24 में डिजिटल भुगतान ने उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है। इस संबंध में मुख्य जानकारी में निम्नलिखित शामिल हैं:

डिजिटल भुगतान लेनदेन में वृद्धि:

भारत में डिजिटल भुगतान में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, डिजिटल भुगतान लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 2,071 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 44 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) पर 18,737 करोड़ रुपए हो गई है। इसके अलावा, मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 के अंतिम 5 महीनों (अप्रैल-अगस्त) के दौरान लेनदेन की मात्रा 8,659 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।

लेनदेन का मूल्य 11 प्रतिशत की सीएजीआर पर 1,962 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 3,659 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसके अतिरिक्त, मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 के अंतिम 5 महीनों (अप्रैल-अगस्त) में कुल लेन-देन मूल्य बढ़कर 1,669 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

यूपीआई की लगातार सफलता:

यूपीआई भारत के डिजिटल भुगतान तंत्र की आधारशिला बना हुआ है। यूपीआई ने देश में डिजिटल भुगतान में क्रांति ला दी है और यूपीआई लेनदेन वित्त वर्ष 2017-18 के 92 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 129 प्रतिशत की सीएजीआर पर 13,116 करोड़ रुपए हो गया है। इसके अलावा, मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 के अंतिम 5 महीनों (अप्रैल-अगस्त) के दौरान लेनदेन की मात्रा 7,062 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।

इस प्रणाली में हिस्सा लेने वाले बैंकों और फिनटेक प्लेटफ़ॉर्म के बढ़ते नेटवर्क द्वारा उपयोग में आसानी होने से यूपीआई को देश भर में लाखों उपयोगकर्ताओं के लिए वास्तविक समय में भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका बना दिया है।

यूपीआई और रुपे का वैश्विक विस्तार:

भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति अपनी सीमाओं से काफी आगे बढ़ रही है। यूपीआई और रुपे दोनों ही वैश्विक स्तर पर तेज़ी से फैल रहे हैं, जिससे विदेश में रहने और यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए निर्बाध सीमा-पार लेन-देन संभव हो रहा है। वर्तमान में यूपीआई सुविधा 7 देशों में सक्रिय है, जिसमें यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस, मॉरीशस जैसे प्रमुख बाज़ार शामिल हैं, जिससे भारतीय उपभोक्ता और कारोबारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भुगतान और राशि प्राप्त कर सकते हैं। यह विस्तार धन प्रेषण प्रवाह को और बढ़ाएगा, वित्तीय समावेशन में सुधार करेगा और वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में भारत की छवि को और बढ़ाएगा। एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार, 2023 में वैश्विक स्तर पर वास्तविक समय में भुगतान लेनदेन का लगभग 49 प्रतिशत भारत में हो रहा है।

भारत डिजिटल भुगतान में विश्व स्तर पर तेज़ी से उभर रहा है। यूपीआई के वैश्विक विस्तार और डिजिटल लेनदेन में निरंतर वृद्धि के साथ, भारत वित्तीय समावेशन और आम नागरिकों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नए मानक स्थापित कर रहा है।

वित्तीय सेवा विभाग सुरक्षित, मापनीय और समावेशी डिजिटल भुगतान समाधानों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही वह वैश्विक वित्तीय तंत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए नए रास्ते भी तलाश रहा है।

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