केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में एक अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की गई, जिसमें बढ़ती माल ढुलाई लागत, पत्तन, पोत परिवहन में देरी, कंटेनरों की कमी और अनुपलब्धता तथा बंदरगाहों पर भीड़भाड़ के कारण निर्यातकों को हो रही कठिनाइयों और व्यापार पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव पर चर्चा की गई।
बैठक को संबोधित करते हुए, पीयूष गोयल ने कहा कि बैठक में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय तथा रेल मंत्रालय द्वारा लिए गए निर्णयों के परिणामस्वरूप पोत परिवहन लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी, कंटेनरों की उपलब्धता में सुधार होगा, खाली कंटेनरों की समस्या का समाधान होगा, निर्यात खेपों की तेजी से निकासी होगी तथा बंदरगाहों पर भीड़भाड़ में कमी आएगी।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा की कि भारतीय कंटेनर निगम (कॉनकॉर) ने जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (जेएनपीए) के यार्ड में खाली कंटेनरों को 90 दिनों की अवधि के लिए निःशुल्क रखने की अनुमति देने का निर्णय लिया है और साथ ही लोडिंग एवं हैंडलिंग शुल्क में भी उल्लेखनीय कटौती की है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश कुमार ने घोषणा की कि 90 दिनों से अधिक अवधि के लिए लगाया जाने वाला 3000 रुपये का शुल्क अब घटाकर 1500 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, कंटेनरों के लिए लोडिंग एवं हैंडलिंग दरें 9000 रुपये से घटाकर 2000 रुपये (40 फीट कंटेनर के लिए) और 6000 रुपये से घटाकर 1000 रुपये (20 फीट कंटेनर के लिए) कर दी जाएंगी।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सभी हितधारकों से निर्यातकों की कठिनाइयों को कम करने और उनके सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस प्रयास करने, मल्टीडिसप्लनेरी क्षमताओं को प्रभावी ढंग से लागू करने और ‘सरकार का पूरा सहयोग’ वाला दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्यातकों को किसी भी तरह की लॉजिस्टिक कठिनाई का सामना न करना पड़े। मंत्री महोदय ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव, लाल सागर संकट, हूती अभियान, चल रहे युद्ध और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर इसके प्रभाव के कारण मल्टीडिसप्लनेरी टीम के साथ जुड़ने की जरूरत है।
शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) ने घोषणा की है कि वे कंटेनर क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करने के लिए कंटेनर जहाज किराए पर ले रहे हैं। यह घोषणा की गई कि तत्काल आधार पर क्षमता को 9000 बीस-फुट समकक्ष इकाई (टीईयू) तक बढ़ाया जाएगा। एससीआई कार्गो हैंडलिंग क्षमता को और बढ़ाने के लिए पांच अतिरिक्त कंटेनर जहाज भी खरीदेगा। आश्वासन दिया गया है कि मालवाहक जहाज के परिवहन और यार्ड में लिफ्ट ऑन-लिफ्ट ऑफ जैसे सभी शुल्क शिपर्स को दिए जाने वाले डिलीवरी ऑर्डर में शामिल किए जाएंगे।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव टीके रामचंद्रन ने घोषणा की कि बंदरगाहों की क्षमता में पहले ही 2.3 मिलियन टीईयू की वृद्धि की जा चुकी है। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि निजी कंटेनर यार्डों को अनिवार्य रूप से जीएसटी अधिकारियों के साथ खुद को पंजीकृत कराना होगा और वे कमी और देरी से उत्पन्न होने वाली अवैध मुनाफाखोरी को रोकने के लिए नकद में कोई शुल्क स्वीकार नहीं करेंगे।
जेएनपीटी के अध्यक्ष उन्मेश शरद वाघ ने आश्वासन दिया कि किसी भी तरह की भीड़भाड़ और रुकावट को दूर करने के लिए पहले ही कदम उठाए जा चुके हैं। निर्यात संबंधी प्रक्रियाओं को बेहतर करने के लिए, जेएनपीए के पास और इसके चारो ओर यातायात में होने वाली देरी को कम किया जाएगा और जेएनपीए में कंटेनर स्कैनिंग की सुविधा प्रदान की जाएगी, ताकि तेजी से मंजूरी मिल सके और कार्य को पूरा करने में लगने वाला समय कम हो सके।
नागरिक विमानन सचिव ने घोषणा की कि हवाई माल की तीव्र आवाजाही सुनिश्चित करने तथा कार्य को पूरा करने में लगने वाले समय को कम करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने कहा कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) यह सुनिश्चित करेगा कि बंदरगाहों पर दो बीस फीट के कंटेनरों की एक साथ जांच करके कस्टम क्लियरेंस में तेजी लाई जाएगी।
बैठक में निर्यातकों की सहायता के लिए एक मल्टीडिसप्लनेरी सहायता डेस्क स्थापित स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
बैठक के अंत में, भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) की अगुवाई में निर्यातकों के प्रतिनिधियों ने कंटेनरों की वर्तमान उपलब्धता पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे तत्काल कदमों के परिणामस्वरूप भीड़भाड़, देरी और मालभाड़े में वृद्धि में काफी कमी आएगी तथा बाहर जाने वाले कंटेनर जहाजों पर स्थान की उपलब्धता बढ़ेगी।
पीयूष गोयल ने अपने समापन में भाषण कहा कि सरकार स्थिति की नियमित निगरानी करती रहेगी और अगली समीक्षा अक्टूबर के अंत में की जाएगी। बैठक के नतीजों पर संतोष व्यक्त करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार के हर विभाग ने इन संकटों को हल करने के लिए सामूहिक रूप से योगदान दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पोत परिवहन लागत में उल्लेखनीय कमी आई है, कंटेनरों की उपलब्धता बढ़ी है और निर्यात खेपों की निकासी में तेजी आई है, जिससे बंदरगाहों पर भीड़-भाड़ कम हुई है।
नई दिल्ली में आज हुई इस बैठक में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, रेल मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने भाग लिया। हितधारकों में निर्यातक और शिपर्स (एफआईईओ द्वारा प्रतिनिधित्व), कंटेनर कॉर्पोरेशन, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, फ्रेट फॉरवर्डर एसोसिएशन, ट्रांसपोर्टर, आईसीडी/सीएफएस ऑपरेटर और निजी शिपिंग लाइन्ज़ शामिल थे।
यह बैठक बढ़ती माल ढुलाई लागत, पोत परिवहन में देरी, कंटेनरों की कमी और अनुपलब्धता तथा उभरते भू-राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य के कारण बंदरगाहों पर भीड़-भाड़ से संबंधित चिंताओं और रिपोर्टों पर विचार-विमर्श करने और उनका समाधान करने के लिए बुलाई गई थी, जिससे निर्यातकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस बैठक में, सामूहिक रूप से, निर्यात के दौरान कार्गो की तीव्र गति से प्रोसेसिंग के लिए विश्वास-आधारित काम करने वाले माहौल को बढ़ावा देने के लिए निर्णय लिए गए।
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