इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की अनुसंधान पहल के तहत (उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र) सी-डैक तिरुवनंतपुरम द्वारा आयोजित हिमशील्ड 2024 ग्रैंड चैलेंज, तिरुवनंतपुरम में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। ग्लेशियर झीलों के फटने से आने वाली बाढ़ (जीएलओएफ) नियंत्रण में नवाचार को बढ़ावा देने के मकसद से, इस प्रतियोगिता ने युवा शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों को पर्यावरण से संबंधित इस चुनौती से निपटने के लिए स्वदेशी और टिकाऊ समाधान विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
इस राष्ट्रव्यापी प्रतियोगिता का शुभारंभ 24 अगस्त 2024 को एस कृष्णन आईएएस, सचिव, एमईआईटीवाई द्वारा किया गया था। हिमशील्ड के शुरुआती दौर में 151 टीमों ने भाग लिया। तीस टीमें अगले दौर में पहुंचीं। फाइनल राउंड में कुल सात टीमों ने भाग लिया।
विजेताओं का विवरण नीचे दिया गया है:
प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और अधिकारियों ने पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता की
पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता सुनीता वर्मा, वैज्ञानिक जी और समूह समन्वयक, अनुसंधान एवं विकास, एमईआईटीवाई, डॉ. कलाई सेलवन ए, निदेशक, सी-डैक, तिरुवनंतपुरम और अरविंद कुमार, सीसीए, एमईआईटीवाई ने की। समुदाय में जागरूकता पैदा करने और विज्ञान दिवस की शुरूआत के लिए डॉ. डी. डी. रे, पूर्व उत्कृष्ट वैज्ञानिक-एच, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, डी. जी. श्रेष्ठ, सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, सिक्किम सरकार और डॉ. मनोज खरे, वैज्ञानिक-जी और समूह प्रमुख, हाई परफारमेंस कम्प्यूटिंग- अर्थ साइंस इंजीनियरिंग एंव जियोस्पेशल एप्लीकेशन ग्रुप, सी-डैक पुणे ने तकनीकी वार्ता में भाग लिया।
हिमशील्ड 2024 ग्रैंड चैलेंज के बारे में
हिमशील्ड 2024 एक बड़ी चुनौती है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर झीलों के फटने से आने वाली बाढ़ (जीएलओएफ) के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए समर्पित है। नवाचार को बढ़ावा देने के लिए आयोजित, यह चुनौती शोधकर्ताओं, इंजीनियरों और नवप्रवर्तकों को ग्लेशियर झीलों की निगरानी और उनका प्रबंधन, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को डिजाइन करने और बाढ़ के जोखिमों को कम करने के लिए प्रभावी इंजीनियरिंग उपायों को लागू करने हेतु अत्याधुनिक समाधान विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। इस चुनौती का लक्ष्य व्यावहारिक, मापने योग्य और ऐसा स्वदेशी समाधान तैयार करना है, जो कमजोर समुदायों, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों की रक्षा कर सकें और आपदा की स्थिति में मज़बूत व्यवस्था बना सकें। इस चुनौती के माध्यम से प्रतिभागियों को आधिकारिक हिमशील्ड वेबसाइट के ज़रिए अपनी टीमों को पंजीकृत करने और अपनी नवीन प्रणालियों, क्षमताओं और सामाजिक प्रभाव का विवरण देने वाले प्रस्ताव पेश करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। प्रविष्टियों का मूल्यांकन नवाचार, तकनीकी व्यवहार्यता और वास्तविक दुनिया में उसके प्रयोग के आधार पर किया जाता है। हिमशील्ड 2024, दूरदर्शी विचारकों के लिए जलवायु संबंधित मुद्दों का मज़बूती से सामना करने और एक सुरक्षित तथा अधिक टिकाऊ भविष्य के निर्माण में योगदान करने का एक अवसर है।
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