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दूरसंचार विभाग और CDRI ने भारत की दूरसंचार क्षमता को मजबूत करने के लिए रोडमैप का अनावरण किया

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) के साथ मिलकर आज आपदा जोखिम एवं तन्यकता आकलन रूपरेखा (डी.आर.आर.ए.एफ) पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जो आपदाओं के विरुद्ध भारत के दूरसंचार क्षेत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह रिपोर्ट सीडीआरआई द्वारा दूरसंचार क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय आपदा जोखिम एवं तन्यकता आकलन पर एक व्यापक अध्ययन का हिस्सा है। यह अध्ययन पांच राज्यों- असम, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तराखंड और गुजरात में किया गया, जिसमें दूरसंचार क्षेत्र के लिए विशिष्ट आपदा जोखिमों और तन्यकता रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। डीओटी ने अध्ययन के लिए आवश्यक डेटा की व्यवस्था करने के लिए राज्य सरकारों, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और अवसंरचना प्रदाताओं के साथ आवश्यक समन्वय की सुविधा प्रदान की।

उद्घाटन सत्र में अपने संदेश में, सचिव (दूरसंचार) और डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) के अध्यक्ष डॉ. नीरज मित्तल ने इस बात पर जोर दिया कि दूरसंचार क्षेत्र में लचीलापन राष्ट्रीय प्राथमिकता है। उन्होंने आपदाओं से पहले, आपदाओं के दौरान और आपदाओं के बाद निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार विभाग की प्रतिबद्धता दोहराई , जो संयुक्त राष्ट्र की ‘ 2027 तक सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी ‘ पहल के अनुरूप है। उन्होंने सरकारी एजेंसियों, दूरसंचार ऑपरेटरों और आपदा प्रबंधन निकायों से समन्वित कार्रवाई का आह्वान किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद भारत का दूरसंचार बुनियादी ढांचा मजबूत बना रहे।

अध्ययन और रूपरेखा के प्रभाव और क्षमता को संबोधित करते हुए, सीडीआरआई के महानिदेशक अमित प्रोथी ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद में दूरसंचार क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आर्थिक विकास, आपदा प्रतिक्रिया और निर्बाध कनेक्टिविटी के लिए लचीले दूरसंचार नेटवर्क महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने आगे कहा कि सीडीआरआई का अध्ययन लचीले संचार सेवाओं के लिए एक मापनीय मॉडल, कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि और वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास प्रदान करता है।

आपदाओं से जुड़े अपने अनुभव को याद करते हुए दूरसंचार विभाग के सदस्य (एफ) मनीष सिन्हा ने आपदाओं के बाद दूरसंचार नेटवर्क के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आगे बताया कि प्रौद्योगिकी में और सुधार हुआ है। उन्होंने आगे बताया कि अध्ययन के परिणाम सेवा व्यवधानों को कम करने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र में सुधार के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत करते हैं।

अंतर-मंत्रालयी समन्वय के महत्व पर जोर देते हुए, दूरसंचार विभाग के डीडीजी (डीएम) संजय अग्रवाल ने सभी एलएसए, टीएसपी, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाताओं और उद्योग संघों (डीआईपीए, सीओएआई, आईबीएफ) के साथ-साथ एनडीएमए और एसडीएमए जैसी सरकारी एजेंसियों के अमूल्य समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनकी मूल्यवान अंतर्दृष्टि और जमीनी अनुभवों ने इस अध्ययन को काफी समृद्ध किया है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि सिफारिशें न केवल तकनीकी रूप से मजबूत हैं, बल्कि व्यावहारिक रूप से लागू करने योग्य भी हैं।

दूरसंचार विभाग आपदा तैयारी और दूरसंचार लचीलेपन को बढ़ाने के लिए कई रणनीतिक पहलों को सक्रिय रूप से क्रियान्वित कर रहा है, जिनमें शामिल हैं:

  • त्वरित आपदा प्रतिक्रिया के लिए एलएसए, राज्य सरकारों और दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ वास्तविक समय समन्वय।
  • आपातकालीन अलर्ट के लिए स्वदेशी सेल प्रसारण प्रणाली का राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन।
  • गृह मंत्रालय के सहयोग से सार्वजनिक सुरक्षा और आपदा राहत (पीपीडीआर) नेटवर्क की तैनाती।
  • सेवाओं की शीघ्र बहाली सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए नियामक समर्थन को मजबूत करना।
  • आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सम्पर्क बनाए रखने के लिए उपग्रह आधारित संचार और उच्च ऊँचाई प्लेटफार्म प्रणाली (एचएपीएस) को बढ़ावा देना।

अध्ययन से मुख्य अंतर्दृष्टि और सिफारिशें:

अध्ययन में 0.77 मिलियन दूरसंचार टावरों में बहु-खतरा जोखिम मूल्यांकन किया गया, जिसमें बाढ़, चक्रवात, भूकंप और अन्य आपदाओं से होने वाले जोखिमों का मानचित्रण किया गया। आपदा की तीव्रता, आवृत्ति और प्रभाव के आधार पर दूरसंचार बुनियादी ढांचे की भेद्यता का आकलन करने के लिए एक आपदा जोखिम और लचीलापन सूचकांक विकसित किया गया है।

रिपोर्ट में आपदाओं के समय क्षेत्र की तन्यकता और तैयारी को मजबूत करने के उद्देश्य से प्रमुख अनुशंसाओं का एक सेट रेखांकित किया गया है। ये अनुशंसाएँ तकनीकी संवर्द्धन, शासन सुधार, वित्तीय निवेश और हितधारक सहयोग को मिलाकर एक बहुआयामी दृष्टिकोण पर जोर देती हैं।

प्रमुख रणनीतिक सिफारिशों में शामिल हैं:

  • तकनीकी नियोजन और डिजाइन को उन्नत करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दूरसंचार अवसंरचना आपदा प्रभावों का सामना कर सके।
  • डेटा-संचालित जोखिम प्रबंधन को सक्षम करने के लिए एक मजबूत बहु-खतरा सूचना भंडार विकसित करना।
  • क्षेत्रीय नीतियों में आपदा लचीलेपन को एकीकृत करने के लिए जोखिम-सूचित शासन को लागू करना।
  • दूरसंचार ऑपरेटरों को वित्तीय कमजोरियों से बचाने के लिए जोखिम-साझाकरण उपकरण विकसित करना।
  • हितधारक सहयोग और समन्वित प्रतिक्रिया तंत्र को आगे बढ़ाने के लिए एक अंतर-क्षेत्रीय ढांचा स्थापित करना।
  • महत्वपूर्ण दूरसंचार अवसंरचना की लचीलापन को समर्थन देने के लिए वित्तीय व्यवस्था को मजबूत करना।
  • आपात स्थितियों के दौरान समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए अंतिम छोर तक सम्पर्कता और सूचना तक पहुँच को बढ़ावा देना।
  • संकट की स्थितियों में सेवा बहाली को बढ़ाने के लिए डिजिटल और सहयोगात्मक प्रयासों का लाभ उठाना।
  • आपातकालीन तैयारियों में सुधार के लिए संस्थागत क्षमता और अंतिम-स्तरीय विशेषज्ञता को बढ़ाना।
  • सेवा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए सटीक निगरानी तंत्र को लागू करना।

इन सिफारिशों का उद्देश्य आपदाओं का सामना करने की दूरसंचार क्षेत्र की क्षमता को मजबूत करना, निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना और सेवाओं की तेजी से बहाली करना है। दूरसंचार विभाग के नेतृत्व और बहु-हितधारक जुड़ाव के साथ, इस रोडमैप को अपनाने से भारत के दूरसंचार क्षेत्र को आपदाओं का प्रभावी ढंग से अनुमान लगाने, उनका जवाब देने और उनसे उबरने में मदद मिलेगी, जिससे संकट के समय में भी निर्बाध संचार सुनिश्चित होगा।

इस जोखिम एवं लचीलापन अध्ययन तथा रूपरेखा के साथ, सीडीआरआई का लक्ष्य नीति और योजना स्तर पर दूरसंचार अवसंरचना में लचीलापन सिद्धांतों को मुख्यधारा में लाना तथा भारत और विश्व स्तर पर अंतर-क्षेत्रीय सहयोग एवं समन्वय को बढ़ावा देना है।

सीडीआरआई के बारे में

आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) , भारत के प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो जलवायु और आपदा-रोधी अवसंरचना समाधानों के लिए समर्पित 49 सदस्यों की वैश्विक साझेदारी है। यह राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों और वित्तपोषण तंत्रों, निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों की साझेदारी है। सीडीआरआई जलवायु और आपदा रोधी अवसंरचना (DRI) के उद्देश्य को आगे बढ़ाता है।

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