यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूलिप) ने 100 करोड़ एपीआई कारोबार दर्ज करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इससे भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में एक गेम-चेंजर के रूप में उसकी भूमिका मजबूत हुई है। यह उपलब्धि एक विश्व स्तरीय, प्रौद्योगिकी-संचालित लॉजिस्टिक्स प्रणाली के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो मेक इन इंडिया के तहत औद्योगिक विकास को बढ़ावा देता है और विकसित भारत 2047 के विजन को गति देता है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “यूलिप की सफलता हमारे उपयोगकर्ताओं, लॉजिस्टिक्स हितधारकों और सरकारी विभागों के सहयोगात्मक प्रयासों के बिना संभव नहीं होती, जो प्रभावशाली समाधान बनाने के लिए एपीआई एकीकरण का लाभ उठा रहे हैं। यह उपलब्धि हमारे प्रधानमंत्री के निर्बाध लॉजिस्टिक्स प्रणाली के दृष्टिकोण को जीवंत करती है, जो व्यापार करने में आसानी को बढ़ाती है और भारत को वैश्विक व्यापार तथा विनिर्माण महाशक्ति के रूप में स्थापित करती है। हम यूलिप की क्षमताओं का विस्तार करने और भारतीय लॉजिस्टिक्स को अधिक चुस्त, सुदृढ़ तथा वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
यूलिप महत्वपूर्ण डेटा अंतराल को पाटकर स्वचालन, वास्तविक समय कार्गो ट्रैकिंग और सुव्यवस्थित विनियामक अनुपालन को सक्षम बनाता है, जिससे उद्योगों में व्यवसायों को लाभ मिलता है। साप्ताहिक औसतन 1 करोड़ एपीआई कारोबार करते हुए, यूलिप व्यापक रूप से अपनाए जाने को बढ़ावा देता है और लॉजिस्टिक्स डेटा तक पहुंच को सर्वसुलभ बनाता है, जिससे सभी आकार के व्यवसायों के लिए समान अवसर सुनिश्चित होते हैं। यह डिजिटल व्यवधान प्रतिस्पर्धी परिदृश्य को नया रूप दे रहा है, एकाधिकार नियंत्रण को तोड़ रहा है और एमएसएमई, स्टार्ट-अप और बड़े उद्यमों को समान रूप से सशक्त बना रहा है।
यूलिप ने विनिर्माण क्षेत्र पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिसमें प्रिज्म जॉनसन, एशियन पेंट्स और टाटा स्टील जैसी कंपनियां ट्रांसपोर्टर सत्यापन को सरल बनाने, प्रक्रियाओं को स्वचालित करने और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए इसके एपीआई का लाभ उठा रही हैं।
इस बीच, सड़क, रेल, समुद्र और वायु मार्ग पर यूलिप के मल्टी-मॉडल एपीआई वास्तविक समय शिपमेंट ईटीए प्रदान करते हैं, जिससे निर्माताओं के लिए समय पर इन्वेंट्री प्रबंधन और लागत बचत सुनिश्चित होती है।
लॉजिस्टिक्स से परे, यूलिप स्थिरता प्रयासों को गति दे रहा है, सेंचुरी प्लाईवुड्स और टीसीआईएल जैसे व्यवसायों को हरित परिवहन विकल्प चुनने, उत्सर्जन में कटौती करने और भारत के कार्बन न्यूनीकरण लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाने में मदद कर रहा है।
कटक कैरियर्स, रोड पायलट और इंटुगाइन सहित अन्य ट्रांसपोर्टर और लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता डिजिटल दस्तावेजीकरण, स्वचालित गेट प्रक्रिया और निर्बाध माल ढुलाई को सक्षम कर रहे हैं, जिससे हब पर देरी और भीड़-भाड़ कम हो रही है।
निजी क्षेत्र के साथ-साथ राज्य और केंद्र सरकार के विभाग भी डेटा-आधारित निर्णय लेने के लिए इस डिजिटल गेटवे का लाभ उठा रहे हैं।
यूलिप लॉजिस्टिक्स को सिर्फ़ आधुनिक नहीं बना रहा है, बल्कि यह डिजिटल रूप से जुड़ी दुनिया में माल की आवाजाही, कारोबार के संचालन और उद्योगों के विकास के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। ज़्यादा दृश्यता और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता के साथ, यह यूलिप प्लेटफ़ॉर्म आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) के तहत एक एकीकृत, कुशल और प्रौद्योगिकी-संचालित लॉजिस्टिक्स क्षेत्र बनाने के लिए यूलिप का शुभारम्भ किया। अपनी स्थापना के बाद से, यह प्लेटफ़ॉर्म सक्रिय रूप से इस विज़न को आगे बढ़ा रहा है और 11 मंत्रालयों से 43 प्रणालियों को 129 एपीआई के माध्यम से जोड़ता है। यह 1,800 से अधिक डेटा फ़ील्ड को कवर करता है, जिससे हितधारकों के लिए व्यापक डेटा एक्सेस सक्षम होता है। 1,300 से अधिक पंजीकृत कंपनियों, 350 से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर और 100 करोड़ से अधिक एपीआई कारोबार संपन्न होने के साथ, यूलिप भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में परिचालन दक्षता और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है।
एनएलडीएसल के बारे में:
एनआईसीडीसी लॉजिस्टिक्स डेटा सर्विसेज लिमिटेड (एनएलडीएसएल) लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (एलडीबी) और यूएलआईपी जैसे अपने अभिनव समाधानों के माध्यम से भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बदलने में सबसे आगे रहा है। उन्नत प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर, एनएलडीएसएल ने उद्योग के भीतर दक्षता, पारदर्शिता और डिजिटलीकरण को बढ़ाया है।
एनएलडीएसएल कंपनी की स्थापना 30 दिसंबर, 2015 को हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में दक्षता बढ़ाने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का उपयोग करना था। यह भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाला राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट (एनआईसीडीआईटी) और जापानी आईटी प्रमुख एनईसी कॉर्पोरेशन के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
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