केरल में एनएच-66 के चेंगाला-नीलेश्वरम खंड पर कासरगोड जिले के चेरक्काला में ढलान संरक्षण कार्यों के ढहने की घटना की सूचना मिली थी। इस घटना को अनुचित डिजाइन, अपर्याप्त ढलान संरक्षण कार्य और खराब जल निकासी का कारण बताया जा रहा है।
इस घटना को देखते हुए रियायतग्राही और उसके प्रमोटर मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को भविष्य की बोलियों में भाग लेने से रोक दिया गया है क्योंकि वे पर्याप्त ढलान संरक्षण कार्य करने में असफल रहे हैं और ऐसे जोखिमों को कम करने के लिए उचित जल निकासी व्यवस्था नहीं बना पाए हैं। रियायतग्राही को एक वर्ष के लिए रोक लगाने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है, जिसमें 09 करोड़ रुपये तक का मौद्रिक जुर्माना लगाया गया है।
यह परियोजना हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) पर है, जहां रियायतग्राही को इस खंड का 15 वर्षों तक रखरखाव करना होगा तथा ढलान संरक्षण कार्यों का पुनर्निर्माण स्वयं के खर्च पर करना होगा।
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) के वरिष्ठ वैज्ञानिक, आईआईटी-पलक्कड़ के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो साइट का दौरा करेगी और केरल राज्य में एनएच-66 की डिजाइन और निर्माण की समीक्षा करेगी। समिति परियोजना के लिए विस्तृत उपचारात्मक उपाय भी सुझाएगी। एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) इस घटना से निपटने को सभी आवश्यक कदम उठा रहा है।
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